सुब्रत रॉय का पैरोल निरस्त, सरेंडर के लिए मिला एक हफ्ते का वक्त
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सुब्रत रॉय का पैरोल निरस्त, सरेंडर के लिए मिला एक हफ्ते का वक्त

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और समूह के दो अन्य निदेशकों को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर कर वापस जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनको दी गई पैरोल की ‘अंतरिम व्यवस्था’ को समाप्त कर दिया।

सुब्रत रॉय का पैरोल निरस्त, सरेंडर के लिए मिला एक हफ्ते का वक्त

नई दिल्ली : सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और समूह के दो अन्य निदेशकों को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर कर वापस जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनको दी गई पैरोल की ‘अंतरिम व्यवस्था’ को समाप्त कर दिया।

सुनवाई के दौरान शुक्रवार को शीर्ष अदालत सहारा प्रमुख के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन के कुछ कथनों से नाराज हो गई और सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और निदेशकों अशोक रॉय चौधरी और रवि शंकर दुबे को दी गई पैरोल सहित ‘सभी अंतरिम व्यवस्थाओं’ को निरस्त कर उन्हें वापस हिरासत में लिए जाने का आदेश दिया। स्थिति संभालने के लिए तुरंत वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में पहुंचे।

इससे पहले जिस तरह से राजीव धवन ने न्यायालय में अपनी बात रखी उसकी निंदा करते हुए मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर ने कहा, ‘कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जो कि अदालत का सम्मान नहीं करते हैं और उसकी मर्यादा के साथ खेलते हैं।’ न्यायमूर्ति ठाकुर के नेतृत्व में मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने सहारा प्रमुख रॉय और अन्य को दी गई पैरोल की अंतरिम व्यवस्था को निरस्त कर दिया। इसके बाद सिब्बल को आनन-फानन में आगे आना पड़ा और धवन की टिप्पणियों से रॉय और अन्य को अलग करते हुए दूसरे अधिवक्ता नरेन्द्र हुडा के जरिये पीठ के समक्ष माफी मांगी।

पीठ ने इसके बाद अगली सुनवाई की तिथि 28 सितंबर कर दी। इससे पहले न्यायालय के आदेश में सुधार के लिए दायर रॉय की नई याचिका पर सुनवाई के लिए 3 अक्तूबर की तिथि तय कर दी थी और उस दिन दोपहर बाद दो बजे सुनवाई का समय तय किया गया था। बाद में दिए गए आदेश में इस मुद्दे पर सुनवाई की तारीख 28 सितंबर को अपराह्न 3.30 बजे कर दी गयी।

कपिल सिब्बल बुखार से पीड़ित हैं। बावजूद इसके वह अदालत पहुंचे और उन्होंने धवन की टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगी। साथ ही पीठ को आश्वस्त किया कि ऐसा फिर नहीं होगा। इसके बाद दोपहर में मुख्य न्यायधीश जो कि दूसरे न्यायधीशों के साथ बैठे हुए थे ने कहा, ‘अदालत को किसी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन पद और संस्था का सम्मान होना चाहिये।’

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