नई दिल्ली: देश की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम फैसले में कहा कि रिटायर्ड कर्मचारी की गरिमा कायम रखने के लिए पेंशन बहुत जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार के मातहत काम कर चुके कर्मचारी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उसे बड़ी राहत दी. अपने फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन की मदद से ही गरिमापूर्ण जीवन जीता है, इसलिए रिटायर्ड कर्मचारी (retired employee) को इसे देने से मना नहीं किया जा सकता. 


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रंग लाई 13 साल की मेहनत
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने केरल में रिटायर्ड एक पूर्व कर्मचारी को राहत देते हुए राज्य सरकार को उसे अस्थायी कर्मचारी के तौर पर मानते हुए उसके 32 वर्ष के कार्यकाल के आधार पर पेंशन (Pension) लाभ देने का आदेश दिया. रिटायर्ड कर्मचारी केरल सरकार के अलग-अलग सरकारी विभागों में 32 वर्ष सेवा दे चुका था, लेकिन राज्य सरकार उसे पेंशन के योग्य नहीं मानती थी.


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सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को 8 हफ्तों के अंदर याचिकाकर्ता को पेंशन का 13 साल का बकाया ब्याज समेत देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि पेंशन की राशि इच्छा के आधार पर दी गई कोई रकम नहीं बल्कि सामाजिक कल्याण (Social welfare) की दिशा में लिया गया एक महत्वपूर्ण फैसला है जो संकट की घड़ी में किसी कर्मचारी के काम आता है. 


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