बिहार असेंबली चुनाव में छिपाए दागी उम्मीदवारों के नाम, SC ने BJP-कांग्रेस समेत 9 दलों पर लगाया लाखों रुपये का जुर्माना
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बिहार असेंबली चुनाव में छिपाए दागी उम्मीदवारों के नाम, SC ने BJP-कांग्रेस समेत 9 दलों पर लगाया लाखों रुपये का जुर्माना

बिहार असेंबली चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड छिपाना राजनीतिक दलों को भारी पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐसे 9 दलों के खिलाफ एक्शन लेते हुए भारी जुर्माना लगाया है. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार असेंबली चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) के दौरान प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक न करने पर कड़ा एक्शन लिया है. कोर्ट ने इस मामले में 8 पार्टियों को अवमानना का दोषी मानते हुए उन पर जुर्माना लगाया है. 

  1. सीपीएम और NCP पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना
  2. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जारी की थी गाइडलाइन
  3. राजनीति को स्वच्छ करना विधायी शाखा की चिंता नहीं

सीपीएम और NCP पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना

जानकारी के मुताबिक कोर्ट (Supreme Court) ने सीपीएम और NCP पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई और बीजेपी  पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला दिया है कि सभी राजनीतिक दल अपने वेबसाइट के होम पेज पर आपराधिक पृष्ठभूमि के  उम्मीदवारों की जानकारी डालेंगे. उम्मीदवार का चयन कर लेने के 48 घण्टे में ये जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही चुनाव आयोग अलग से एक मोबाइल ऐप बनाएगा. जिसके जरिए वह आम मतदाताओं को इस ऐप के जरिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी दे सकेगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जारी की थी गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारो के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है तो चुनाव आयोग इस बारे में कोर्ट को सूचित करेगा. जिसके बाद उन राजनीतिक दलों पर अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकेगा. 

कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के बारे में मतदाताओं को जानकारी देने के लिए वह बड़े स्तर पर अभियान चलाएगा. वह इसके लिए एक फंड बनाएगा, जिसमें अवमानना करने वालो से हासिल जुर्माना जमा होगा. चुनाव आयोग अलग से एक सेल बनाएगा, जो कोर्ट के दिशानिर्देशों की मॉनिटरिंग करेगा.

'राजनीति को स्वच्छ करना विधायी शाखा की चिंता नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि देश की दूषित हो रही राजनीति को स्वच्छ करना सरकार की विधायी शाखा की तत्काल चिंता नहीं है. वहीं राष्ट्र इस बारे में लगातार इंतजार कर रहा है और अब उसका धैर्य जवाब दे रहा है.

जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा, ‘देश इंतजार करना जारी रखे है और धैर्य जवाब दे रहा है. राजनीति को स्वच्छ करना सरकार की विधायी शाखा की तत्काल चिंता नहीं है.’ पीठ ने कहा कि वह कानून निर्माताओं की ‘अंतरात्मा’ को जगाने के लिए केवल अपील कर सकती है और उम्मीद करती है कि वे जल्द ही जागेंगे. इसके साथ ही राजनीति में अपराधीकरण की कुप्रथा को खत्म करने के लिए एक ‘बड़ी सर्जरी’ करेंगे.

'भारत में राजनीतिक प्रणाली का अपराधीकरण'

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि भारत की राजनीतिक प्रणाली का दिन-प्रतिदिन आपराधीकरण बढ़ रहा है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को कानून निर्माता बनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. इस मामले में तत्काल कुछ न कुछ करने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके ‘हाथ बंधे हुए है’ और वह विधायी कार्यों के लिए निर्धारित क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल बिहार असेंबली चुनावों के दौरान अपने 13 फरवरी, 2020 के निर्देशों का पालन न करने पर हुई अवमानना सुनवाई के दौरान ये टिप्पणिया की. बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने फैसले में राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइन जारी की थी. 

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दागी नेताओं को टिकट न देने का निर्देश

दलों को कहा गया था कि वे अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया मंच पर अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देंगे. साथ ही पब्लिक को यह भी बताएंगे कि उन्हें उम्मीदवार क्यों बनाया गया. साथ ही यह भी आदेश दिया कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति में टिकट नहीं दिया जाए. (एजेंसी इनपुट भाषा)

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