नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कोविड-19 मामलों में तेजी से बढ़ोतरी होते देख कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने उन कैदियों को रिहा करने के लिए कहा है जिनकी जमानत पिछले साल मार्च में मंजूर की गई थी. ऐसा करने के पीछे कोर्ट का मकसद महामारी के बीच जेलों में कैदियों की संख्या कम करने का है. 


90 दिन की फरलो दें 


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सुप्रीम कोर्ट  ने निर्देश दिया है कि जिन कैदियों को पिछले साल पैरोल पर रिहा किया गया था, उन्हें फिर से 90 दिन का फरलो (छुट्टी) दी जानी चाहिए. इससे इस वैश्विक महामारी से निपटने में मदद मिलेगी. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि अधिकारी उन मामलों में बिना सोच-विचार किए लोगों को गिरफ्तार न करें, जिनमें 7 साल तक के कारावास की सजा हो सकती है.


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बता दें कि कोर्ट और सरकारें लगातार इस बात पर ध्‍यान दे रहीं हैं ऐसे कैदियों की रिहाई कर दी जाए जिन्‍होंने गंभीर अपराध न किए हों. ताकि जेलों में कैदियों की संख्‍या कम रहे और वहां कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके. गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर में भी उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र समेत कई राज्‍यों की जेलों में बंद कैदी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे.