भूत-प्रेत के चक्कर में 2 मासूम बच्चों की हत्यारिन मां को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा, बेटियों को रॉड से मार डाला था
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भूत-प्रेत के चक्कर में 2 मासूम बच्चों की हत्यारिन मां को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा, बेटियों को रॉड से मार डाला था

SC relief to mom due to invisible powers: सुप्रीम कोर्ट ने एक हैरान कर देने वाला फैसला सुनाया है. जिसमें दो बच्चों की कातिल मां को रिहा कर दिया है. मां ने अचानक अपने ही दो मासूम बेटियों, 5 और 3 साल की, को लोहे की रॉड से पीट-पीटकर मार डाला था. निचली अदालत और हाई कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका हत्या का इरादा नहीं था.

भूत-प्रेत के चक्कर में 2 मासूम बच्चों की हत्यारिन मां को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा, बेटियों को रॉड से मार डाला था

SC relief for spell of invisible powers: छत्तीसगढ़ की एक मां को अपने दो बेटियों की हत्या मामले में रिहाई मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है. सुनकर यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है. खुशहाल पारिवारिक जीवन जी रही एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने अपनी पांच और तीन साल की बेटियों को बेवजह लोहे की छड़ से पीट-पीटकर मार डाला था. इस घटना के बाद वह लगातार रोती रही और दावा किया कि उस समय उस पर "अदृश्य शक्तियों" का साया था. ‌उसके बाद ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने उसे हत्या के लिए दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. लेकिन सोमवार को जस्टिस बी वी नागरत्ना और एन कोटिस्वर सिंह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पाया कि हत्या करने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था.

दस सालों से जेल में थी मां
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की. जस्टिस सिंह ने कहा कि ‘अदृश्य शक्तियों’ का प्रभाव अस्थायी मानसिक स्थिति हो सकती है. कोर्ट ने माना कि महिला का हत्या करने का कोई इरादा नहीं था. इसलिए उसकी सजा को हत्या से बदलकर ‘गैर-इरादतन हत्या’ में तब्दील कर दिया गया.  वह करीब 10 साल से जेल में थी, कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

‘मानसिक बीमारी को समझना ग्रामीणों के लिए मुश्किल’
कोर्ट ने पाया कि घटना से 15 दिन पहले महिला अजीब व्यवहार कर रही थी. वह खुद को माता देवी, बूढ़ी दाई कहती थी, जिसके बाद उसे मनोचिकित्सक के पास भी ले जाया गया था. जस्टिस सिंह ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जहां अंधविश्वास गहरे जड़ें जमाए हुए हैं, मानसिक समस्याओं को अक्सर ‘अदृश्य शक्तियों’ का प्रभाव मान लिया जाता है. ऐसे में हो सकता है कि महिला को अचानक मानसिक विकार का दौरा पड़ा हो, जिसके चलते उसने यह भयानक कदम उठाया हो.

कोर्ट ने किस आधार पर किया रिहा
कोर्ट ने आगे इस मामले में कहा कि यह समझ से परे है कि एक मां, जो अपने बच्चों से प्यार करती थी और जिसके पति के साथ अच्छे रिश्ते थे, बिना किसी वजह के इतना हिंसक कदम कैसे उठा सकती है. कोर्ट ने माना कि महिला शायद किसी ऐसी मानसिक स्थिति में थी, जो उसके नियंत्रण से बाहर थी. जजों ने कहा, “ग्रामीण लोग अक्सर स्किजोफ्रेनिया या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों के बारे में नहीं जानते. इनके लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है, और लोग इन्हें अंधविश्वास से जोड़कर ‘अदृश्य शक्तियों’ का प्रभाव मान लेते हैं. ऐसे में इलाज नहीं हो पाता, और हालात बिगड़ जाते हैं.” इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मां को रिहा कर दिया.

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