पटियाला हाउस जिला अदालत परिसर के छोटे अदालत कक्ष में पत्रकारों, वकीलों और दर्शकों की अच्छी खासी संख्या मौजूद थी.
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नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर बहुचर्चित मानहानि मामले की पहली सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस जिला अदालत परिसर के छोटे अदालत कक्ष में पत्रकारों, वकीलों और दर्शकों की अच्छी खासी संख्या मौजूद थी. रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
हालांकि दर्शकों की उत्सुकता उस समय कम हो गई जब उन्हें पता लगा कि सुनवाई के दौरान न तो रमानी और न ही अकबर अदालत में आएंगे. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के अदालत कक्ष से कुछ वकील बाहर निकलने लगे. इस मामले में सुनवाई दोपहर दो बजे शुरू होनी थी. परिसर में पिछले साल दिसंबर में भी मीडियाकर्मियों की ऐसी ही भीड़ देखी गयी थी जब 2 जी-घोटाला मामले में फैसला सुनाया जाना था.
पत्रकारों को अदालत कक्ष में जाने के लिए करनी पड़ी जोर आजमाइश
सुनवाई शुरू होने के पहले पत्रकारों को बृहस्पतिवार को अदालत कक्ष में प्रवेश करने में जोर आजमाइश करनी पडी. वहां खासी संख्या में ऐसे वकील एकत्र थे जो इस मामले से नहीं जुड़े हैं. कुछ पत्रकार अदालत कक्ष में प्रवेश करने में कामयाब रहे लेकिन फोटो और वीडियो पत्रकारों को बाहर ही प्रतीक्षा करनी पड़ी. न्यायाधीश, अदालत कक्ष में 2.10 बजे आए. अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने बहस की शुरूआत की.
अदालत रमानी के खिलाफ अकबर के मानहानि मामले की सुनवाई करने पर सहमत
अदालत एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सहमत हो गयी और वह 31 अक्टूबर को पूर्व केंद्रीय मंत्री का बयान दर्ज करेगी. रमानी ने आरोप लगाया है कि अकबर ने करीब 20 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था.
शिकायत का संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा की दलीलें सुनी कि रमानी के विभिन्न ‘विवादास्पद’ ट्वीटों और अन्य सोशल मीडिया पोस्टों से उनके मुवक्किल की 40 सालों में बनी प्रतिष्ठा की अपूरणीय क्षति हुई है. मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘शिकायतकर्ता (अकबर) और उनके गवाहों के परीक्षण के लिए मामले की तारीख 31 अक्टूबर तय की जाए.’
(इनपुट - भाषा)