Chief Justice of India: हाल में बीआर गवई भारत के मुख्य न्यायाधीश बने हैं. इसके बाद वो अपने गृहराज्य महाराष्ट्र गए थे. यहां पर सम्मान समारोह आयोजित किया गया था. जिसके बाद उन्होंने यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल में खामियों को गिनाया. जानिए क्या है मामला.
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Chief Justice of India: अक्सर देखा जाता है कि प्रोटोकॉल को लेकर कड़े नियम बनाए जाते हैं. प्रोटोकॉल के दौरान तमाम बातों का ध्यान रखा जाता है. हाल में ही देश के मुख्य न्यायाधीश बने बीआर गवई ने अपने गृहराज्य महाराष्ट्र की यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल में खामियों को गिनाया है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं और ये तीनों सामान हैं. जानिए ऐसी टिप्पणी उन्होंने आखिर क्यों की.
नहीं पहुंचे तीन बड़े अफसर
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश मुंबई में एक सम्मान समारोह में शामिल होने गए थे. इसका आयोजन महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा किया जा रहा था. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त तीनों लोग शामिल नहीं हुए थे. तब बीआर गवई ने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ - न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका, समान हैं और हर संवैधानिक संस्था को अन्य संस्थाओं के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए.
किया जाना चाहिए जागरूक
इसके अलावा कहा कि जब महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है, तो अगर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त को उपस्थित होना उचित नहीं लगता है, तो उन्हें इस पर विचार करने की आवश्यकता है. प्रोटोकॉल कोई नई चीज नहीं है, यह एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरे को दिए जाने वाले सम्मान का सवाल है. साथ ही कहा कि जब किसी संवैधानिक संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य का दौरा करता है, तो उसके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. अगर हम में से कोई होता, तो अनुच्छेद 142 के बारे में चर्चा होती. ये छोटी-छोटी बातें लग सकती हैं, लेकिन जनता को इनके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.
क्या बोले मुख्य न्यायाधीश
हालांकि टिप्पणी करने के बाद जब मुख्य न्यायाधीश चैत्य भूमि की ओर गए तो महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती मौजूद थे. इस दौरान जब मुख्य न्यायाधीश से प्रोटोकॉल चूक पर उनकी टिप्पणी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि वे प्रोटोकॉल के बारे में उधम नहीं मचाते हैं, लेकिन उन्होंने केवल वही कहा था जो हुआ था.
मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणी विशेष रूप से अनुच्छेद 142 के संदर्भ में थी. तमिलनाडु मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार करना "अवैध और मनमाना" था. अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय दिया था. जिसके बाद सियासी तकरार भी छिड़ गई थी.