सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उक्त व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है.
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नई दिल्ली: टीका बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (CII) ने कोविड-19 के संभावित टीके (Corona Vaccine) के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति के आरोपों को रविवार को खारिज कर दिया. कंपनी ने गलत आरोप लगाने को लेकर 100 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना वसूलने की भी धमकी दी.
कंपनी ने दावा खारिज कर मांगा 100 करोड़ रुपये का हर्जाना
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उक्त व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है.’ कंपनी ने कहा कि वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए गलत तरीके से टीके को जिम्मेदार बता रहा है. कंपनी ने कहा कि वह ऐसे आरोपों से अपना बचाव करेगी और गलत आरोप के लिए 100 करोड़ रुपये तक की मानहानि का दावा कर सकती है.
वॉलंटियर ने लगाए थे वैक्सीन से साइड इफेक्ट के आरोप
दरअसल, कोवीशील्ड (COVISHIELD) वैक्सीन के परीक्षण में चेन्नई में भाग लेने वाले एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने आरोप लगाया कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और ज्ञानेंद्री संबंधी समस्या समेत गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा है. व्यक्ति ने सीरम इंस्टीट्यूट तथा अन्य से पांच करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है. उसने परीक्षण पर रोक लगाने की भी मांग की है.
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अंतिम चरण में था वैक्सीन का ट्रायल
दरअसल, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोविड-19 टीका कोवीशील्ड बनाने के लिए गठजोड़ किया है. सीरम इंस्टीट्यूट भारत में इस टीके का परीक्षण भी कर रही है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन बिलकुल अपने अंतिम पड़ाव पर थी क्योंकि इसके अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा था. अर्थात इसके पहले के सभी ट्रायल्स सुरक्षित सिद्ध हुए थे फिर अचानक इस घटना के बाद ट्रायल रोक देना पड़ा.
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