Farm Laws पर Sharad Pawar का यू-टर्न? मंत्री रहते खुद की थी यही कोशिश; इन CM को लिखे थे पत्र
नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच राजनीति शुरू हो गई है. कभी खुद बड़े Agricultural Reforms की वकालत करने वाले (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) आज केंद्र को नसीहत दे रहे हैं.
नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसान आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं. इस मामले में राजनीति शुरू हो गई है. कभी खुद कृषि कानूनों में बड़े सुधार की वकालत करने वाले एनसीपी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) भी अब नए कृषि कानूनों पर केंद्र को नसीहत दे रहे हैं. शरद पवार इस मामले को लेकर 9 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे.
जबकि शरद पवार (Sharad Pawar) वो नेता हैं जिन्होंने कृषि मंत्री रहते हुए कृषि कानूनों में बड़े बदलाव (Farm Reforms) की वकालत की थी. इस बाबत शरद पवार ने सन् 2005, 2007, 2010 और 2011 में पत्र भी लिखे थे.
2010 में शीला दीक्षित को लिखा पत्र
11 अगस्त सन् 2010 को शरद पवार (Sharad Pawar) ने तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में शरद पवार ने कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सहभागिता की जरूरत बताई थी. इतना ही नहीं जिस APMC को लेकर अभी बवाल मचा हुआ है, शरद पवार 2010 में ही APMC एक्ट में बदलाव की वकालत कर रहे थे. शरद पवार ने 11 अगस्त 2010 को लिखे पत्र में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को इस बाबत पूर्व में लिखे गए 25 मई 2005 और 12 मई 2007 के पत्रों की भी याद दिलाई थी.
शिवराज को भी लिखा था पत्र
इसी तरह का एक पत्र शरद पवार ने नवंबर 2011 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को भी लिखा था. इस पत्र में शरद पवार (Sharad Pawar) ने लिखा था कि कृषि सुधारों के लिए प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता महत्वपूर्ण हो सकती है. शिवराज से भी उन्होंने एपीएमसी एक्ट में बदलाव की वकालत की थी. तब उन्होंने सरकारी मंडियों के अलावा प्राइवेट प्रतियोगी बाजार की जरूरत बताई थी.
अब शरद पवार का यू-टर्न?
अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार का नजरिया बदल गया है. शरद पवार ने रविवार को केंद्र से कहा है कि वह किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को गंभीरता से ले क्योंकि यदि गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग कृषकों के साथ खड़े हो जाएंगे.
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पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा है, ‘लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है. मुझे उम्मीद है कि सरकार को अक्ल आएगी और वह मुद्दे के समाधान के लिए इसका संज्ञान लेगी. यदि यह गतिरोध जारी रहता है तो प्रदर्शन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग प्रदर्शनकारी किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे.’
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