जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को कथित तौर पर एक दक्षिण पंथी समूह से एक धमकी भरा पत्र मिला है जिसमें उन्हें बिहार की राजनीति में हस्तक्षेप न करने और ‘‘राष्ट्र विरोधी ’’ ताकतों का समर्थन न करने की चेतावनी दी गई है.
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नई दिल्लीः जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को कथित तौर पर एक दक्षिण पंथी समूह से एक धमकी भरा पत्र मिला है जिसमें उन्हें बिहार की राजनीति में हस्तक्षेप न करने और ‘‘राष्ट्र विरोधी ’’ ताकतों का समर्थन न करने की चेतावनी दी गई है. यादव के कार्यालय ने रविवार को बताया कि उन्होंने पत्र के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित कर दिया गया है. राज्यसभा सदस्य यादव को यह पत्र डाक के जरिये उनके आवास पर हाल ही में भेजा गया.
पत्र में उन्हें आगाह किया गया है कि वह बिहार सरकार तथा हिंदू हितों के खिलाफ न बोलें अन्यथा उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसमें कहा गया है कि उन्होंने ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ ताकतों का पक्ष लेकर बड़ी भूल की है. यादव राजद तथा कांग्रेस के साथ हुए ‘‘महागठबंधन ’’ को छोड़ कर राजग से जुड़ने के पार्टी के फैसले के खिलाफ असंतोष जाहिर किया है.
मंच पर लालू ने शरद का गले लगाया
JDU MPs Sharad Yadav and Ali Anwar with Lalu Yadav at RJD's rally in Patna pic.twitter.com/ztIBCqvTVY
— ANI (@ANI) August 27, 2017
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आपको बता दें कि रविवार 27 अगस्त को आरजेडी की रैली में शामिल होने के लिए पहुंचे. मंच पर पहुंचते ही लालू यादव ने उन्हें गले लगाया. लालू यादव की रैली में वैसे तो बीजेपी विरोधी सभी दलों के शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन मायावती, सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस रैली में नहीं पहुंचे. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को नार्वे की राजधानी ओस्लो के लिए रवाना हो गए. सोनिया गांधी पहले से ही अपनी सेहत के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं. वहीं मायावती का कहना है कि वह बिना सीटों के बंटवारे पर सहमति के इस महारैली में भाग नहीं लेंगी.
'लालू-शरद की भाईचारा रैली'
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, ‘ये रैली शरद यादव और लालू प्रसाद के बीच भाईचारा रैली से ज्यादा कुछ और नहीं है.’ उन्होंने कहा, जब इस रैली की घोषणा की गई तो महागठबंधन था. इस रैली के बारे में ना तो जेडीयू से और ना कांग्रेस से पूछा गया था. भाजपा भगाओ , देश बचाओ’ रैली एक नकारात्मक राजनीति है. आप कौन सा वैकल्पिक राजनीतिक और आर्थिक नजरिया देने जा रहे हैं. त्यागी ने कहा कि यह कोई विपक्षी एकता नहीं होती. सीपीएम नेता प्रकाश करात ने लिखा है कि यह नकारात्मक राजनीति है. इसका सबसे बड़ा आकर्षण मायावती थीं. अगर इनके साथ मायावती आ जातीं तो मुकाबले की स्थिति बनती. पर वह भी नहीं बनी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)