संविधान के दायरे से बाहर की बातें कर रही सत्ता पक्ष : शरद यादव
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संविधान के दायरे से बाहर की बातें कर रही सत्ता पक्ष : शरद यादव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पिछले करीब दो वर्षों के दौरान जनता से किये गए वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि विकास और जनता के सरोकारों से जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाने की बजाए सत्ता पक्ष से जुड़े लोग संविधान के दायरे से बाहर जाकर बातें कहने में जुटे हैं जिससे जनता का विश्वास टूटता है।

संविधान के दायरे से बाहर की बातें कर रही सत्ता पक्ष : शरद यादव

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पिछले करीब दो वर्षों के दौरान जनता से किये गए वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि विकास और जनता के सरोकारों से जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाने की बजाए सत्ता पक्ष से जुड़े लोग संविधान के दायरे से बाहर जाकर बातें कहने में जुटे हैं जिससे जनता का विश्वास टूटता है।

आरएसएस द्वारा सरकार से कुछ विश्वविद्यालयों में कथित देश विरोधी गतिविधियों में शामिल विध्वंसकारी ताकतों पर अंकुश लगाने को कहने की खबर पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जदयू अध्यक्ष ने कहा, ‘विश्वविद्यालयों में कहीं राष्ट्रविरोधी गतिविधियां नहीं हो रही हैं। जनता से किये वादे पूरा करने की बजाए इस तरह की बातें करना ठीक नहीं है। क्योंकि इन्हीं विश्वविद्यालयों और छात्र आंदोलनों से एक से एक बड़े नेता निकले हैं।’ 

शरद यादव ने कहा, ‘चुनाव में किये गए वादों को पूरा नहीं करने से और सत्ता पक्ष (केंद्र सरकार) से जुड़े लोगों द्वारा लगातार संविधान के दायरे से बाहर जाकर बातें कहने से जनता का विश्वास टूटता है, लोकतंत्र से भरोसा उठता है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय जो वादे जनता से किये थे, वे जमीन पर पूरा होते नहीं दिख रहे हैं। दो करोड़ रोजगार का वादा पूरा नहीं हुआ, किसानों को फसल का डेढ गुणा कीमत देने का वादा पूरा नहीं हुआ और कालाधन लाने और 15 लाख रूपये खाते में देने की बात को तो सत्तारूढ भाजपा ने ‘जुमला’ करार दे ही दिया है।

भाजपा के कुछ सांसदों एवं कुछ मंत्रियों पर उकसाने वाला बयान देने के आरोपों का जिक्र करते हुए जदयू अध्यक्ष ने कहा कि संविधान की शपथ लेने के बाद संविधान के दायरे से बाहर जाकर बातें करना और लगातार ऐसी बातें करना ठीक नहीं है। एक तरफ विकास की बात तो दूसरी तरफ संविधान के दायरे से बाहर जाकर बातें कहना यही बातें तो सामने आ रही हैं। 

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