Corona Crisis Noida: इस अस्पताल ने दिखाया मानवीय चेहरा, बच्चों के लिए किया खास इंतजाम
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Corona Crisis Noida: इस अस्पताल ने दिखाया मानवीय चेहरा, बच्चों के लिए किया खास इंतजाम

Covid Hospital Positive Story: हॉस्पिटल ने आइसोलेशन सेंटर में बच्चों के रुकने का इंतजाम किया. स्टाफ ने जिम्मेदारी के साथ एहतियात बरतते हुए कोविड (Covid-19) पीड़ित मरीजों के बच्चों के लिए खिलौनों और किताबों की व्यवस्था की. मानवीय पहलू दिखाती मुहिम में यहां सुरक्षा, सावधानी और संवेदना भी देखने को मिली.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौर में आपने अस्पतालों की संवेदनहीनता से जुड़ी खबरें देखी होंगी. लेकिन अब आपको एक अस्पताल की शानदार मुहिम के बारे में बताते हैं, जिसे जानकर आपको भी खुशी होगी. ये पॉजिटिव खबर उस संवेदनशील अस्पताल की है जिसकी अब तारीफ हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के बच्चों को ये अहसास तक नहीं होने दिया कि वो अपने मां-बाप से जरा भी दूर हैं. 

  1. अस्पताल का मानवीय रवैया
  2. बच्चों के लिए खास इंतजाम
  3. कोविड काल में हुई तारीफ

बच्चों के लिए स्पेशल आइसोलेशन रूम

अपनी उम्दा सोंच को साकार करने के लिए शारदा हॉस्पिटल के प्रबंधन ने आइसोलेशन सेंटर में बच्चों के रुकने का फूल प्रूफ इंतजाम किया. यहां के स्टाफ ने पूरी जिम्मेदारी के साथ एहतियात बरतते हुए कोविड (Covid-19) बीमारी से पीड़ित मरीजों के बच्चों के लिए खिलौनों और किताबों की व्यवस्था की. वहीं ऐसे कुछ और इंतजाम भी हुए जहां सुरक्षा-सावधानी के साथ संवेदना भी दिखाई गई.

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केस स्टडी

ज़ी न्यूज़ (Zee News) की पड़ताल के दौरान इस सेंटर पर मौजूद बच्चे तनाव से दूर खुश नजर आए. कहा जा सकता है कि ये वो नेक काम था जो बच्चों की भावनाओं को छूने के साथ मरीजों की स्पीडी रिकवरी में भी काम आया होगा. संक्रमण काल में ये सामने आई ये खबर ग्रेटर नोएडा के उस अस्पताल की संवेदना, सावधानी और सुरक्षा को दिखाती है जहां कोरोना संक्रमित मां-बाप का इलाज़ चल रहा है. उनके बच्चे उसी अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड में रह रहे हैं. ताकि बच्चे मां-बाप के करीब रहें और वो बच्चों की याद में परेशान न हों.

यहां कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित सूरज और उनकी पत्नी नीलम एडमिट हुए. घर में बच्चों की देखरेख के लिए कोई नहीं था. इसलिए एंबुलेंस में बच्चे भी आ गए. सूरज और नीलम का इलाज शुरु हो गया. अब अस्पताल के सामने एक बड़ी चुनौती थी उनके 2 छोटे बच्चों की देखभाल की.

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मिसाल बना अस्पताल

अस्पताल चाहता तो दोनों बच्चों की देखरेख से मना कर देता, क्योंकि ये उसकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं थी. लेकिन यहां संवेदनशीलता दिखाते हुए अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड में बच्चों के रहने की व्यवस्था की गई. बच्चों के लिए उनकी पसंद के खिलौनों का इंतजाम किया. वहां हर उस बात का ध्यान रखा, कि बच्चों को हमेशा ये अहसास हो, कि उनके माता पिता उनके पास ही हैं और उनकी तबीयत ठीक हो रही है. 

अस्पताल की संवेदनशीलता की वजह से सूरज-नीलम बच्चों से दूरी के मानसिक तनाव से दूर हैं. उन्हें एडमिट हुए 6 दिन बीत चुके हैं, वो तनाव मुक्त होने की वजह से तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं. 

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