शारदीय नवरात्र: महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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शारदीय नवरात्र: महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

नवरात्र के नौवें दिन माता दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री की पूजा- अर्चना की जाती है। शारदीय नवरात्र के दौरान सोमवार को महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जा रही है। देश भर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगने लगा। दिल्‍ली, लखनऊ, पटना समेत विभिन्‍न शहरों के मंदिर प्रांगणों में माता के भक्तों के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।

शारदीय नवरात्र: महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

नई दिल्‍ली : नवरात्र के नौवें दिन माता दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री की पूजा- अर्चना की जाती है। शारदीय नवरात्र के दौरान सोमवार को महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जा रही है। देश भर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगने लगा। दिल्‍ली, लखनऊ, पटना समेत विभिन्‍न शहरों के मंदिर प्रांगणों में माता के भक्तों के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।

माता को सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है और इसी कारण इनका नाम सिद्धिदात्री पड़ा। नवरात्र की नवमी पर शास्त्रों के अनुसार तथा संपूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। मां सिद्धदात्री को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इन्हें सम्पूर्णता की देवी भी कहा गया है। वैसे तो मां सिद्धदात्री की पूजा कभी भी की जा सकती है लेकिन नवरात्रि के नौवें दिन को श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन विधि-विधान और पूरी निष्ठा से इनकी पूजा करने वाले भक्तों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

पुराणों के अनुसार देवी सिद्धिदात्री के आठ सिद्धियां हैं। देवी पुराण के मुताबिक सिद्धिदात्री की उपासना करने का बाद ही शिव जी ने सिद्धियों की प्राप्ति की थी। माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना करने से लौकिक और परलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती हैं। मां सिद्धदात्री की साधना से लोगों की सभी भौतिक और अध्यात्मिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इनकी पूजा और उपासना विद्यार्थियों के बहुत ही लाभकारी बताई गई है। सभी विद्याओं में सफलता और श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए मां सिद्धदात्री का आशीर्वाद अत्यंत आवश्यक होता है।

इस दिन माता सिद्धिदात्री को नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। सर्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओ का ध्यान करना चाहिए। इसके पश्चात माता के मंत्रो का जाप कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोग लगाना चाहिए। नव-दुर्गाओं में सिद्धिदात्री अंतिम है तथा इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। पूजा से माता अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न होती है। भक्तों को संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सिद्धिदात्री की कृपा से मनुष्य सभी प्रकार की सिद्धिया प्राप्त कर मोक्ष पाने मे सफल होता है। मां सिद्धिदात्री संपूर्ण सिद्धियां अपने उपासकों को प्रदान करती है। मां सिद्धदात्री की पूजा में हवन करने के लिए दुर्गा सप्तसती के सभी श्लोकों का प्रयोग किया जा सकता है। मां दुर्गा के इस अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है।

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