शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmistha Mukherjee) ने कहा कि मेरे बाबा प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी का रिश्ता राजनीतिक सीमाओं से परे था.
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Pranab Mukherjee and Narendra Modi: भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आज जयंती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनकी जयंती पर याद करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पुरानी तस्वीर शेयर की. पीएम मोदी ने तस्वीर के साथ कैप्शन भी लिखा. पीएम मोदी ने कहा, "प्रणब मुखर्जी की जयंती पर उन्हें याद किया जा रहा है. प्रणब बाबू एक अद्वितीय सार्वजनिक व्यक्तित्व थे. वह एक महान राजनेता, एक अद्भुत प्रशासक और ज्ञान के भंडार थे. भारत के विकास में उनके योगदान अविस्मरणीय हैं. उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में आम सहमति बनाने की अद्वितीय क्षमता प्राप्त थी और यह उनके शासन में व्यापक अनुभव तथा भारत की संस्कृति और लोकाचार की गहरी समझ के कारण संभव हो सका. हम अपने राष्ट्र के लिए उनके विजन को साकार करने के लिए काम करते रहेंगे."
पीएम मोदी और प्रणब मुखर्जी
इस बीच शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता प्रणब मुखर्जी की जयंती पर कुछ किस्से साझा किए. ये भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रणब दा के संबंध नए नहीं बल्कि बहुत पुराने थे. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि मेरे पिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंध राजनीतिक सीमाओं से परे था. ऐसा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है.
वे बताती हैं, “यह बात बिल्कुल सार्वजनिक थी कि मोदी जी प्रधानमंत्री के रूप में और प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के रूप में किस तरह से एक टीम की तरह काम करते थे. दोनों ने एकदम लोकतांत्रिक ढंग से काम किया. यह हैरान करने वाली बात थी, क्योंकि दोनों की राजनीतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग थी. मुझे बाबा की डायरी पढ़ने के बाद और मोदी जी से कुछ दिलचस्प बातें जानने के बाद ये सारी बातें समझ में आईं.” उन्होंने कहा, “एक बार जब मोदी जी प्रधानमंत्री बनने के बाद बाबा से मिलने गए, तो उन्होंने बाबा के पैर छुए और कहा, "दादा, मुझे अपना छोटा भाई समझ मार्गदर्शन दीजिए." बाबा ने उन्हें पूरी मदद का आश्वासन दिया. मोदी जी ने मुझे बताया कि उनका संबंध बाबा से बहुत पुराना है, और ये सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद का नहीं था. वह पहले भी, जब आरएसएस के साधारण कार्यकर्ता थे, बाबा से मिलने आते थे. दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू और साउथ एवेन्यू में उनकी मुलाकातें होती थीं.”
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वे बताती हैं, “मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो एक बार बाबा ने डायरी में लिखा था कि मोदी जी कांग्रेस सरकार के आलोचक हैं, लेकिन जब भी वह निजी तौर पर बाबा से मिलते तो हमेशा उनके पैर छूते थे. बाबा ने यह भी लिखा था कि मोदी जी की इज्जत उन्हें बहुत अजीब तरह से महसूस होती थी, हालांकि वह खुद नहीं जानते थे. इसका कारण क्या था.” इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा, “एक और दिलचस्प बात यह है कि जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने बाबा से मिलने के बाद कहा कि उन्हें अपनी विदेश नीति को समझने में मदद मिली थी. बाबा ने कहा था कि मोदी जी को विदेशी मामलों में गहरी समझ है, और वह जल्दी ही विदेश नीति के जटिल पहलुओं को समझने में सक्षम हो गए थे.”
इसी तरह उन्होंने कहा, “मोदी जी की कार्यशैली के बारे में बाबा ने लिखा था कि वह बहुत ही पेशेवर और फोकस्ड हैं. बाबा ने यह भी कहा था कि मोदी जी ने राज्य राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई, और यही कारण था कि उन्हें विदेश नीति और अन्य मामलों में त्वरित समझ मिली.”
वे बताती हैं, “जब बाबा को भारत रत्न मिला, तो मुझे एक पत्रकार से पता चला. मोदी जी ने इसे एक गुप्त सूचना की तरह रखा था. मुझे बाद में पता चला कि प्रधानमंत्री ने बाबा को पहले फोन किया था. लेकिन, यह तब तक सार्वजनिक नहीं किया गया, जब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई.”
शर्मिष्ठा ने आगे कहा, “इससे मुझे यह समझ में आया कि मोदी सरकार ने वास्तव में एक अच्छे और सच्चे तरीके से काम किया है, और प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा के प्रति अपना सम्मान और स्नेह हमेशा दिखाया.”
(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस)