Shashi Tharoor: कांग्रेस भले ही उनके बयान से असहज नजर आती रही लेकिन सरकार में बैठे लोगों को उनका राष्ट्रवादी रुख पसंद आया. अब इसी रुख का उन्हें शायद इनाम भी मिल गया है. मोदी सरकार उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है.
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India global campaign on Pak: पिछले कुछ समय से कांग्रेस सांसद शशि थरूर चर्चा में हैं. उनके पाकिस्तान पर तीखे रुख को दुनिया ने देखा. ऑपरेशन सिंदूर पर वे मोदी सरकार के साथ खुलकर खड़े रहे. कांग्रेस भले ही उनके बयान से असहज नजर आती रही लेकिन सरकार में बैठे लोगों को उनका राष्ट्रवादी रुख पसंद आया. अब इसी रुख का उन्हें शायद इनाम भी मिल गया है. मोदी सरकार ने थरूर को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी देने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि यह लगभग फाइनल है कि थरूर के साथ पूरी एक टीम जा रही है.
विशेष अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
असल में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शशि थरूर को एक विशेष अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा जा सकता है. जो दुनिया भर में जाकर भारत का पक्ष रखेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के नेता शामिल होंगे. जिनमें बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, जदयू और अन्य दलों के सांसदों के नाम हैं. विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष होने के नाते थरूर को प्रमुख चेहरा बनाने की योजना है.
उनके साथ 5-6 अन्य सांसद भी..
यह प्रतिनिधिमंडल मई के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक कई देशों का दौरा करेगा. शशि थरूर विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन जाएंगे जहां वे पाकिस्तान की सरजमीं से संचालित आतंकवाद को लेकर भारत की चिंता को प्रमुखता से सामने रखेंगे. उनके साथ 5-6 अन्य सांसद भी होंगे. इसमें कांग्रेस के मनीष तिवारी, अमर सिंह और सलमान खुर्शीद जैसे नाम भी शामिल हैं.
वैश्विक नेताओं और थिंक टैंकों के समक्ष..
विदेश मंत्रालय की योजना के मुताबिक हर प्रतिनिधिमंडल में सांसदों के साथ मंत्रालय के अधिकारी भी रहेंगे. प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के सबूत घटनाएं और भारत का नजरिया वैश्विक नेताओं और थिंक टैंकों के समक्ष रखेगा. अलग अलग डेलिगेशन अलग अलग देशों का दौरा करेंगे. इनमें संजय झा (जदयू), सुप्रिया सुले (राकांपा), सस्मित पात्रा (बीजद), के कनिमोझी (द्रमुक), सुदीप बंदोपाध्याय (टीएमसी), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) जैसे नाम भी सामने आए हैं.
हालांकि कांग्रेस के भीतर इस घटनाक्रम को लेकर हलचल है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद थरूर के बयानों ने पहले ही कई नेताओं को नाराज किया था. कुछ नेताओं को लगता है कि थरूर पार्टी लाइन से अलग जाकर बीजेपी के एजेंडे को मजबूती दे रहे हैं. ऐसे में अब उन्हें सरकार से जिम्मेदारी मिलना पार्टी के लिए असहज करने वाला है. थरूर पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने एक भारतीय नागरिक के तौर पर अपनी राय रखी थी ना कि कांग्रेस की तरफ से. अब देखना है कि कांग्रेस का इस पर आधिकारिक बयान क्या सामने आता है.