शिवसेना ने बीजेपी से पूछा, 'जगन के पीछे पड़ने की इतनी क्या जरूरत?'
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शिवसेना ने बीजेपी से पूछा, 'जगन के पीछे पड़ने की इतनी क्या जरूरत?'

शिवसेना ने बीजेपी को नसीहत देने के साथ ही कांग्रेस और एनसीपी को भी निशाने पर लिया हैं. 

शिवसेना ने बीजेपी से पूछा, 'जगन के पीछे पड़ने की इतनी क्या जरूरत?'

नई दिल्लीः शिवसेना के मुखपत्र सामना में बीजेपी तक तरफ से आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के उपाध्यक्ष पद दिए जाने को लेकर बीजेपी को नसीहत दी हैं. शिवसेना ने सामना में लिखा, 'संसद में बहुमत है और शिवसेना साथ है तो फिर दूसरों की मान-मनौव्वल क्यों करनी चाहिए? कहा जा रहा है कि आंध्र के जगन पार्टी को लोकसभा उपाध्यक्ष पद की ‘ऑफर’ दी गई थी लेकिन जगन ने बीजेपी के समक्ष कुछ शर्तें रखीं. कहा गया कि नियम व शर्तों को पूरा करने के बाद ही वे लोकसभा का उपाध्यक्ष पद स्वीकार करेंगे.'

शिवसेना ने अपनी सहयोगी से सवाल किया है, 'जगन के पीछे पड़ने की इतनी क्या जरूरत? एनडीए में से ही किसी एकाध ओम बिरला को उपाध्यक्ष पद के लिए ढूंढ़ा जाना चाहिए और भी अन्य मुद्दे हैं, उन्हें बाद में देखेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा ही है, ‘सबकुछ निश्चयानुसार होगा’

शिवसेना ने बीजेपी को नसीहत देने के साथ ही कांग्रेस और एनसीपी को भी निशाने पर लिया हैं, पार्टी ने आगे लिखा है, 'विरोधियों की फालतू टीका-टिप्पणी की परवाह न करते हुए काम पर ध्यान देना चाहिए. दिल्ली में मोदी भी वही कर रहे हैं. विरोधियों का सयानापन गायब हो गया. लोकसभा चुनाव में युति की जीत के बाद वे बिखर गए हैं.'

शिवसेना ने लिखा, 'मंत्रिमंडल विस्तार में विखे-पाटिल और जयदत्त क्षीरसागर को पद दिया गया. उन्होंने पहले की पार्टी के विधायक पद से इस्तीफा दिया और बाद में वे ‘युति’ के घर में आए. ये दोनों मंत्री फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. इसलिए उनका मंत्री पद संविधान विरोधी होने की चिल्ल-पों मची है. इन आधे-अधूरों को समझ लेना चाहिए कि विधायक न रहते हुए भी कांग्रेस-राष्ट्रवादी के कई भगोड़ों ने मंत्री के रूप में शपथ ली है और छह महीने बाद वे विधिमंडल में चुनकर आए हैं. लेकिन जनता की लात पड़ने के बावजूद ये लोग अपनी पुरानी हरकत छोड़ने को तैयार नहीं.'

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