मुंबई: भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान कांग्रेस पार्टी के चीन से संबंधों पर उठ रहे सवालों के बीच शिवसेना (Shivsena) ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी का बचाव किया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना की संपादकीय में लिखा है कि विदेश से कई पार्टियों ने पैसे लिए हैं. ऐसे में ये कोई नहीं कह सकता कि वो दूध का धुला है. राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी राजदूत की तरफ से दान में जो पैसे मिले, उसका खुलासा करने से क्या चीन अपनी सेना वापस ले लेगा. शिवसेना ने सामना में चीन की चालबाजी और पीएम मोदी की नीति पर भी सवाल उठाए.


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शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय में लिखा गया कि चीन पीछे हट गया है और दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के बाद तनाव कम हो गया है. अब इस झूठ का पर्दाफाश हो चुका है. लद्दाख और चीन के बीच सीमा पर तनाव के दौरान चीन लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे हिंदुस्तान का सिरदर्द बढ़े. कहना कुछ और करना कुछ मानो ये चीन की राष्ट्रीय नीति हो. चीन युद्ध नहीं चाहता लेकिन उसकी नीति सीमा पर युद्ध जैसे हालात पैदा करके हिंदुस्तान को उलझाए रखने वाली है. चीन गलवान घाटी से अपने सैनिकों और वाहनों को वापस लेने के लिए तैयार है. लेकिन उसी समय चीनी सेना ने लद्दाख के डेपसांग सेक्टर में नए टेंट लगा दिए. तोपें और टैंक तैनात कर दिए, सैन्य बल बढ़ा दिया और चीनी हेलीकॉप्टरों ने वहां उतरना शुरू कर दिया.


इसका मतलब ये है कि चाहे जो भी हो, चीनी सेना लद्दाख छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. मतलब ये कि चीन ने अब एक नया आक्रमण किया है और वो हमारी सीमाओं से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. चीन युद्ध नहीं चाहता बल्कि युद्ध की तलवार हमारे सिर पर लटकाए रखना चाहता है इसीलिए पाकिस्तान और नेपाल जैसे राष्ट्र चीन के साथ जुड़े रहेंगे. चीन एक गद्दार है और उसकी खुराफातें हमेशा जारी रहेंगी. इन खुराफातों को रोकने के लिए हमारी क्या योजना है? योजना ये है कि हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री रूस के दौरे के बाद वहां से हथियार और गोला-बारूद मंगवाने वाले हैं. दूसरी बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के प्रमुख लोगों ने चीन पर शाब्दिक हमला करना शुरू कर दिया है. इसीलिए उन्हें लगता है कि सीमा पार घूम रहे लाल बंदर दहशत के कारण भाग जाएंगे. तीसरी बात ये है कि सरकार के पक्षधर मीडिया और सोशल मीडिया की खाली सेनाएं ‘भारतीय कूटनीति के आगे चीन के पीछे हटने या शरणागति’ जैसी हवा बाण खबरें प्रसारित करके लोगों को गुमराह कर रही हैं.


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अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण युद्धनीति ये है कि चीन की घुसपैठ पर सवाल उठाने वालों को कटघरे में खड़ा करके उन पर ही चीनी समर्थक या दलाल होने का स्टांप लगाया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से चीनी घुसपैठ को लेकर सवाल किया. इसका उत्तर देना तो दूर उलटे बीजेपी नेताओं द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं को चीन से पैसा मिल रहा है. कांग्रेस को पैसे मिलने का क्या मतलब है? बीजेपी ने दावा किया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दिल्ली में एक चीनी वकील से बड़ी राशि का दान मिला. क्या बीजेपी द्वारा इस दान की जानकारी दिए जाने से सीमा पर चीन की हलचल थम जाएगी? राजीव गांधी फाउंडेशन को दिए गए दान का संबंध चीनी घुसपैठ या जिनमें हमारे 20 सैनिक शहीद हुए, उस घटना से होगा तो बीजेपी को यह स्पष्ट करना चाहिए.


पिछले छह वर्षों में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग पीएम मोदी के आग्रह पर दो बार हिंदुस्तान का दौरा कर चुके हैं. चीनी राष्ट्राध्यक्ष मोदी के गुजरात की मेहमाननवाजी स्वीकार करके लौट गए. मतलब मोदी सरकार और चीन के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण थे. लेकिन यह सच है कि चीन ने अब धोखा दिया है. चीन का एक तरफ बातचीत का नाटक और दूसरी ओर सीमा पर युद्ध के लिए तोपों की तैनाती की नीति कोई नई नहीं है. गलवान घाटी से सेना को पीछे हटाने का नाटक और दूसरी तरफ डेपसांग पठार में सेना घुसाना. डेपसांग से पीछे हटते हुए अरुणाचल में प्रवेश करना और हिंदुस्तान को चर्चा में रखकर मनमाना व्यवहार करना चीन की नीति है.


ऐसे समय में पूरे देश को प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ा होना चाहिए. हालांकि वह खड़ा दिख भी रहा है. ये संकट बीजेपी या कांग्रेस पर नहीं है बल्कि देश पर आया संकट है. पूरे देश की प्रतिष्ठा और छवि दांव पर है. बीजेपी इस मुद्दे पर पहले भी कई बार चर्चा कर चुकी है कि किस देश से कांग्रेस पार्टी के राजीव फाउंडेशन को पैसा मिला है? उसमें नया क्या है? हमारे देश में कई राजनीतिक दल और नेता विदेशों के लाभार्थी हैं. सिर्फ कांग्रेस ही नहीं. बीजेपी का ऐसा कहना कीचड़ में पत्थर फेंक कर छींटे अपने शरीर पर उड़वाने जैसा है. हमाम में सब नंगे ही होते हैं! लेकिन फिलहाल सवाल है चीन से लड़ने का. गलवान घाटी में चीन ने नया निर्माण शुरू किया है. उसके सैनिक अरुणाचल और सिक्किम के रास्ते आ रहे हैं. इसीलिए राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को एक तरफ रखकर ये एक साथ आने का समय है. बीजेपी, कांग्रेस पार्टी से कभी भी लड़ सकती है. आज हमें चीन से लड़ना है. जो बोलना है, इस पर बोलो!