किसानों को लेकर शिवसेना ने BJP के पाले में डाली गेंद, कहा- महाराष्ट्र अब केंद्र के हाथों में
शिवसेना के मुखपत्र में लिखा है कि महाराष्ट्र का राज राज्यपाल अर्थात केंद्र सरकार के हाथ में चला गया है.
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मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) के माध्यम से किसानों के जरिए केंद्र में बीजेपी (BJP) सरकार पर निशाना साधा है. किसानों के मौजूदा संकट को आसमानी और सुल्तानी दोनों बताया है. महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात के कारण हुए फसलों के नुकसान को आसमानी संकट बताया है और राज्य में सरकार नहीं बनने देने को सुल्तानी संकट बताया है.
मुखपत्र में लिखा है कि महाराष्ट्र का राज राज्यपाल अर्थात केंद्र सरकार के हाथ में चला गया है. केंद्र को महाराष्ट्र के किसानों की संकट की ओर गंभीरता से देखना चाहिए था. किसानों के लिए खजाना खोलना चाहिए था, क्योंकि केंद्र के खजाने की की सबसे बड़ी कमाई महाराष्ट्र की है. संकट के समय कमाई का उपयोग राज्य के किसानों के लिए किया जाना था, लेकिन उस तरीके से हुआ नहीं हुआ.
किसानों के लिए कुछ नहीं किया
सामना के संपादकीय में लिखा गया कि किसानों को भरपाई के रूप में उचित मूल्य नहीं दिया गया है. हालात देखकर ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के किसानों के लिए कुछ नहीं किया. यह भी आरोप लगाया है कि राज्य में बीजेपी की सरकार न बनने से केद्र सरकार इसका बदला किसानों से निकाल रही है. गौरतलब है कि अतिवृष्टि से महाराष्ट्र में किसानों का काफी नुकसान हुआ है.
'सामना' में क्या-क्या लिखा है:-
- महाराष्ट्र के राज्यपाल ने किसानों की मदद के लिए जो सहायता घोषित की है उसे देखते हुए किसान और उनके परिजन ज्यादा ही आक्रोशित होंगे.
- राज्य के किसानों को ये अपेक्षा थी कि राज्यपाल नाम का हमारा ‘राजा’ उदार होगा और किसानों के लिए ‘बड़ा’ पैकेज घोषित किया जाएगा, लेकिन खरीफ की फसलों के लिए 8 हजार और बागायती के लिए 12 हजार प्रति हेक्टेयर की मदद घोषित करके किसानों का संकट बढ़ा दिया है. उसमें भी नियम और शर्तों को जोड़ दिया गया है.
- 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता मतलब प्रति गुंठा जैसे-तैसे 80 रुपए की मदद होती है. इतने कम पैसों में आपदाग्रस्त किसानों की नुकसान-भरपाई हो पाएगी? राज्य में खरीफ की 94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों को नुकसान हुआ है. इसका झटका 1 करोड़ से ज्यादा किसानों को लगा है.
- सिर्फ किसान ही उद्ध्वस्त हो चुके हैं, ऐसा नहीं है. मछुआरों को भी झटका लगा है. कोकण के पर्यटन व्यवसाय पर भी उल्टा असर पड़ा है. इसलिए मछुआरों सहित सभी को सरकार की ओर से तुरंत आर्थिक मदद मिलनी आवश्यक है. हम खुद आपदाग्रस्त किसानों से मिलकर उन्हें धीरज बंधा रहे हैं.
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- शरद पवार भी किसानों से मुलाकात कर रहे हैं. फिलहाल आवश्यकता है कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपए के हिसाब से आर्थिक मदद मिले. कृषि शुल्क माफ करना, किसानों के बच्चों के स्कूल और कॉलेज की फीस माफ करना जैसे निर्णय ठीक हैं फिर भी किसानों की असली चिंता रबी की फसल को लेकर है. उन्हें शीघ्र ही सरकारी मदद मिली तो ही वे रबी फसल का काम आगे बढ़ा पाएंगे.
- खेत में फसल नहीं और फसल उगी तो बरसात खाने नहीं देती’, किसानों की दशा लगभग ऐसी ही है. पकी हुई फसल बिकना तो दूर, घर ले जाकर खाने लायक भी नहीं होने से किसानों के बच्चे क्या खाएंगे? रबी की बुआई वैâसे की जाएगी? जीएंगे या मरेंगे?
- अब 105 (यानी बीजेपी) वालों की ओर से स्वाभिमान गिरवी रखने की बात कही जा रही है. लेकिन अतिवृष्टि से उजड़े किसानों की पीठ भले झुक गई हो परंतु रीढ़ की हड्डी नहीं टूटी है और इस शक्ति के सहारे और आशीर्वाद से हम दिल्ली से झगड़ा कर रहे हैं.
- महाराष्ट्र के किसानों को मिली हुई मदद कम होने का बयान चंद्रकांत दादा पाटील ने दिया इसलिए उनका अभिनंदन हम करते हैं.