मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) में बिना नाम लिए इशारो में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है. सामना में लिखा हैं कि आज भी स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ये उसके कारण बनी परिस्थिति है. सीधी-सी बात थी कि बच्चों की जान बचाएं या परीक्षा लें? सर्वोच्च न्यायालय ने अब साफ कर दिया है कि परीक्षा होकर रहेगी! परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जा सकती है लेकिन परीक्षा लेनी ही होगी. राज्य में परीक्षा लिए बिना विद्यार्थियों को आगे नहीं भेजा जा सकता, ऐसा न्यायालय का कहना है. यह गलत नहीं है, लेकिन राज्य सरकार भी कुछ अलग कहां कह रही थी? फिलहाल परीक्षा लेना कठिन है. 


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किसी भी कीमत पर परीक्षा का क्या मतलब?
कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. इसमें विद्यार्थियों और शैक्षणिक क्षेत्र का भी समावेश है. देश के शिक्षा मंत्री कहते हैं, ‘किसी भी कीमत पर परीक्षा ली जाए. ऐसी विद्यार्थियों और अभिभावकों की मांग है.’ अब किसी भी कीमत पर मतलब क्या? विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारियों की जान की कीमत पर क्या? इसका खुलासा देश के शिक्षा मंत्री को करना ही चाहिए. 


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राजनीतिक एजेंडे के चलते छात्रों के भविष्य से खेल रहे कुछ लोग
देश-विदेश के कुछ शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर ‘नीट (NEET) और जेईई (JEE) परीक्षा ली जाए, विद्यार्थियों के भविष्य से मत खेलो’ ऐसा कहा है. कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे लाने के लिए विद्यार्थियों के भविष्य से खेल रहे हैं. ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. परीक्षा लेने में जल्दबाजी मत करो. विद्यार्थियों की जान से मत खेलो. ऐसा कहना राजनीतिक एजेंडा कैसे हो सकता है? 


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सम्पूर्ण लॉकडाउ में 'परीक्षा लो लेकिन कैसे, ये भी बताओ'
कोरोना के भगवान का कोप होने का खुलासा मोदी मंत्रिमंडल की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं. मतलब ये ‘कोरोना’ कुछ विरोधियों का राजनीतिक एजेंडा नहीं है. दूसरी बात ये कि लॉकडाउन लादकर सारे लेन-देन बंद करने का फरमान भी केंद्र सरकार का ही है. इसमें स्कूल, कॉलेज, मंदिर और परीक्षाएं भी हैं. केंद्र सरकार संपूर्ण ‘लॉकडाउन’ हटाने को तैयार नहीं है और उसमें परीक्षा लेने की भी बात कही जा रही है. परीक्षा लो लेकिन कैसे, ये भी बताओ.


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