मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना (Saamna) के माध्यम से बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है. सामना के संपादकीय में तंज कसते हुए लिखा गया, 'यूपी और बिहार की तरह अब बीजेपी ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी धार्मिक अलगाववाद की शुरुआत की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी पर बीजेपी और आक्रामक हो रही है.' वहीं सामना के इस लेख में ममता बनर्जी के लिए नसीहत भी दिखती है. 


'ममता' को सियासी नसीहत!


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सामना में आगे लिखा गया है, 'पश्चिम बंगाल की राजनीति लगातार रोमांचक हो रही है. पॉलिटिक्स आखिर में रक्त-रंजित मोड़ पर पहुंचती है, यह इतिहास रहा है. बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे पर वहां चिंगारी भड़का दी है. ऐसा नहीं होता तो कोलकाता (Kolkata) में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में विवाद नहीं होता. बीजेपी ममता की कमजोर कड़ी पहचान चुकी है, वोटिंग तक वो नाजुक मामलों पर हमलावर रहेंगे. हमारा विचार है कि 'जय श्रीराम' के नारे से ममता को नहीं चिढ़ना चाहिए. 


बंगाल विजय किसकी जिद?


सामना में लिखे संपादकीय के मुताबिक चुनावों में हर कोई अपने वोट बैंक का ध्यान रखता है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी की विजय पताका लहराने की जिद से बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व बंगाल के सियासी मैदान में डटा हुआ है. गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जे पी नड्डा (JP Nadda) समेत कई नेता लगातार एक्टिव हैं. टैगोर की तरह दाढ़ी बढ़ा चुके पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कोलकाता गए थे. वहां जो धार्मिक अलगाववाद शुरू हुआ, उसके लिए कुछ हद तक ममता ही जिम्मेदार हैं. ममता अगर कोलकाता में जय श्रीराम कह कर संबोधन शुरू करतीं तो उनका दांव उलटा पड़ जाता.'


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पूर्व सहयोगी पर गंभीर आरोप


सामना के मुताबिक,  'भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख लोगों ने बंगाल में हिंसाचार शुरू किया है. अब यही कहना बाकी रह गया है कि रायटर्स इमारत के सामने कुछ भी हो सकता है. बंगाल में बम बनाने के कारखाने हैं ऐसे लोगों को ममता सरकार का समर्थन है. सवाल ये भी उठता है कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दूसरे राज्यों में विरोधियों पर छापेमारी होती है, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की ऐसी कार्रवाई बंगाल के बम कारखानों पर क्यों नहीं होती? राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में समझौता नहीं किया जाना चाहिए.'



सियासत में अलकायदा की एंट्री!


लेख के मुताबिक, 'पश्चिम बंगाल में अल-कायदा (Al-Qaeda) का जाल तेजी से फैल रहा है, राज्यपाल जगदीश धनकड़ ने घोषित तौर पर आरोप लगाते हुए चिंता जताई है. पश्चिम बंगाल में अलकायदा की एंट्री के बारे में राज्यपाल ने किस माध्यम से जानकारी हासिल की? अगर खौफ और तिरस्कार करने के लिए केंद्र संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल करेगी तो ट्रंप की कार्यप्रणाली पर हमें हंसने का अधिकार नहीं है. हिंदुस्तानी लोकतंत्र 'ट्रंप छाप' नहीं है. यहां जनता का आदेश हर हाल में स्वीकारना पड़ता है.'


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महापुरुषों के नाम का इस्तेमाल


सामना में आगे ये भी लिखा है कि गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राजा राममोहन राय जैसी महान विभूतियों ने बंगाल में जन्म लिया. वहीं, 'बंटवारे का दर्द पंजाब की तरह बंगाल ने भी झेला है. महाराष्ट्र की तरह पश्चिम बंगाल में स्वतंत्रता आंदोलन, क्रांति और सामाजिक सुधार की परंपरा रही है. लाल, बाल, पाल का त्रिशूल स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी में था.


आजादी की लड़ाई में पश्चिम बंगाल, पंजाब और महाराष्ट्र का नेतृत्व आगे था. आज भी तीनों राज्य स्वाभिमान के लिए लड़ रहे हैं. पंजाब के किसानों को दिल्ली की सीमा पर कुचला जा रहा है. बंगाल में घमासान जारी है, महाराष्ट्र में नियोजित हमले हो रहे हैं. लेकिन ज्यादा हलचल बंगाल में है.'


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