सीताराम येचुरी फिर से चुने गए CPI(M) के महासचिव, 2015 में संभाला था यह पद
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सीताराम येचुरी फिर से चुने गए CPI(M) के महासचिव, 2015 में संभाला था यह पद

इस पद के लिये दूसरी बार उनके चयन को वाम दल की हाल ही में चयनित 95 सदस्यीय केंद्रीय समिति ने स्वीकृति दी.

जेएनयू से पढ़ाई कर चुके सीताराम येचुरी के सामने देश में CPI(M) को दोबारा खड़ा करने की चुनौती होगी. तस्वीर साभार: ANI

हैदराबाद: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपनी 22वीं पार्टी कांग्रेस में सीताराम येचुरी को सर्वसम्मति से पुन: अपना महासचिव चुन लिया. इस पद के लिये दूसरी बार उनके चयन को वाम दल की हाल ही में चयनित 95 सदस्यीय केंद्रीय समिति ने स्वीकृति दी. 65 वर्षीय येचुरी ने वर्ष 2015 में विशाखापत्तनम में संपन्न 21वीं पार्टी कांग्रेस में प्रकाश करात का स्थान लिया था और पार्टी महासचिव बने थे.

  1. हैदराबाद में हुई CPI(M) की 22वीं कांग्रेस
  2. सीताराम येचुरी फिर से चुने गए महासचिव
  3. 2015 में येचुरी ने प्रकाश करात की जगह संभाली थी यह कुर्सी

माकपा ने अपनाया येचुरी का रुख
इससे पहले बीजेपी का सामना करने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने या नहीं करने के मसले पर माकपा में गंभीर मतभेद अंतत: सुलझ सकते हैं जहां शीर्ष नेतृत्व ने आधिकारिक मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव से कोई समझ नहीं कथन को हटाने का फैसला किया है. प्रस्ताव को अंतिम रूप दिये जाने के बाद यह अगले तीन साल के लिए माकपा की राजनीतिक - रणनीतिक दिशा तय करेगा. 

गहन बहस में महत्वपूर्ण मुद्दा इस बात पर केंद्रित रहा कि माकपा को भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस समेत सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के साथ हाथ मिलाना चाहिए या नहीं. 

मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा के दो दिन बाद आज शाम पोलित ब्यूरो की बैठक में शीर्ष नेताओं ने मसौदे पर गुप्त मतदान के संबंध में कई प्रतिनिधियों की मांगों पर चर्चा की.

नेताओं ने मसौदे में से महत्वपूर्ण कथन ‘ कोई समझ नहीं ’ को हटाकर अधिकृत मसौदे को संशोधित करने का फैसला करके बीच का रास्ता चुना है. यह एक तरह से महासचिव सीताराम येचुरी की अल्पमत राय की जीत मानी जा रही है.

वहीं प्रकाश करात के समर्थन वाले अधिकृत मसौदे में कहा गया था कि पार्टी को कांग्रेस पार्टी के साथ कोई समझ या चुनावी गठबंधन नहीं रखते हुए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ एकजुट होना चाहिए. 

संशोधित दस्तावेज में अब लिखा है कि पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीतिक गठबंधन किये बिना धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के साथ एकजुट हो सकती है. इस तरह से परस्पर चुनावी समझ विकसित करने के दरवाजे खुले रखे गये हैं.

इससे पहले करात ने कहा था कि कोई अल्पमत में हो तो भी उसे जिम्मेदारी लेने से रोकना , पार्टी की परिपाटी नहीं है. 

हैदराबाद में चल रहे पार्टी कांग्रेस से इतर संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा , ‘‘ हमारी पार्टी में हमेशा बहुमत और अल्पमत की राय रही है. हमारी सभी राजनीतिक चर्चा में अलग - अलग राय होना सामान्य बात है.यह नयी बात नहीं है. जब अलग - अलग राय जाहिर की जाती है तो मतदान के जरिये सामूहिक रूप से फैसला किया जाता है. इसके बाद यह पार्टी की सामूहिक राय बन जाती है. ’’ 

सवालों के जवाब में उन्होंने कहा , ‘‘ हमारी पार्टी में हर व्यक्ति को सही मंच पर अपनी राय जाहिर करने का अधिकार है. अल्पमत की राय वाला कोई व्यक्ति जिम्मेदारी नहीं ले सकता -- यह हमारी परिपाटी नहीं है. ’’

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