जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ कई संगठनों और व्यक्तियों ने मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को हटाए जाने के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ कई संगठनों और व्यक्तियों ने मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को हटाए जाने के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं. इन सबकी एक साथ सुनवाई करते हुए पहली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया के कानून के छात्र मोहम्मद अलीम सैयद को अनंतनाग में उसके माता-पिता से मिलने की इजाजत दी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अलीम सैयद की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा.
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने माकपा नेता सीताराम येचुरी को अपने पार्टी के एक नेता मोहम्मद युसुफ तरंगिनि से मिलने के लिए कश्मीर जाने की इजाजत दी. दरअसल सीताराम येचुरी की तरफ से उनके वकील ने कहा कि मैं अपनी पार्टी के बीमार पूर्व विधायक से नहीं मिल पाया. मुझे एयरपोर्ट से लौटा दिया गया. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम आदेश देते हैं, आप जाइए. सिर्फ अपने दोस्त से मिलने के लिए. उनका हाल-चाल लीजिए. वापस आ जाइए और वहां कोई अन्य गतिविधि न करें. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सीताराम येचुरी कल यानी 29 अगस्त को श्रीनगर जाएंगे. वहां से वापस लौटने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेंगे.
इसके साथ ही बाकी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है जो कि अक्टूबर के पहले हफ्ते से इस पर सुनवाई करेगी.
अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर संविधान पीठ अक्टूबर में करेगी सुनवाई
जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर लगी पाबंदी पर भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया. 7 दिन में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर जवाब मांगा है.
दरअसल, एक वकील की ओर से दायर याचिका में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को लेकर जारी की गई अधिसूचना को असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार इस तरीके का काम करके देश में मनमानी कर रही है. राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है और केंद्र को संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए. वहीं कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने भी अर्जी दाखिल की है. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण समाप्त करने की मांग की गई है.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया था. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से भारी बहुमत से पास हुआ था और उसके बाद राष्ट्रपति ने आदेश जारी किया था. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद सुरक्षा के लिहाज से एहतियात के तौर पर कुछ कदम उठाए गए थे.