एड्स छूने से नहीं फैलता... बोला गया एक झूठ, और पूरी तरह से बर्बाद हो गई ये फैमिली
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एड्स छूने से नहीं फैलता... बोला गया एक झूठ, और पूरी तरह से बर्बाद हो गई ये फैमिली

Beed News: मजदूर ने दावा भी किया कि गांव वालों ने उनके परिवार से बातचीत करना बंद कर दिया है. इस तरह उन्हें सामाजिक रूप से बाहर कर दिया गया है. बीड एसपी नवनीत कंवल का इस मामले को लेकर बड़ा बयान आया है.

सांकेतिक तस्वीर (क्रेडिट: lexica)

Family abandoned after hiv rumour: कई लोगों को लगता है एचआईवी पॉजिटीव के साथ सोने, बैठने, किस करने या फिर साथ खाना खाने से उन्हें भी यह बीमारी हो जाएगी. जबकि दुनियाभर के बड़े बड़े डॉक्टर बता चुके हैं कि एचआईवी एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने और खाने से नहीं होता है. ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी वो वायरस है जो एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम यानी एड्स का कारण बनता है. एचआईवी को लोग लोकलाज से जोड़ कर देखने लगते हैं, इसी के चक्कर में बीड़ की बेटी पर मरने के बाद भी समाज के कुछ दुश्मनों ने कलंक लगाकर न सिर्फ उसकी बल्कि उसके पूरे परिवार की जिंदगी बर्बाद कर दी.

21वीं सदी के इंटरनेट और सोशल मीडिया वाले युग में भी बहुत से लोगों तक सामाजिक जागरूकता नहीं पहुंच पाई है. एड्स छूने से नहीं फैलता है ये सिखाने में केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपये विज्ञापनों में लगा दिए लेकिन आज भी कुछ लोग अपनी नासमझी दूर करने के बजाए दूसरों का जीना हराम कर देते हैं. ठीक ऐसा मामला महाराष्ट्र के बीड जिले में सामने आया, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया. यहां कुछ लोगों की रची मनगढंत कहानी का दंश एक परिवार भुगत रहा है.

एचआईवी एड्स की अफवाह से सामाजिक बहिष्कार

आपको बता दें कि बीड़ के एक मजदूर ने दावा किया है कि उसके परिवार को इस अफवाह के चलते सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है कि उसकी विवाहित बेटी की मौत एचआईवी की वजह से हुई है.

डॉक्टर-पुलिस पर हो एक्शन: परिजन

बीड जिले के बीडसांगवी गांव के रहने वाले मजदूर ने अपनी दुर्दशा के लिए जिसे में तैनात एक पुलिसवाले और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने इस सिलसिले में बीड जिले के सुपरिटेंडेट ऑफ पुलिस और डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा है.

ससुराल वालों पर आरोप

परिजनों ने यह दावा भी किया कि उनकी बेटी को मई 2023 से उसके ससुराल वालों द्वारा परेशान किया जा रहा था, जिसके कारण उसे अक्टूबर 2024 में पुलिस में शिकायत दर्ज करानी पड़ी. मजदूर ने एक ज्ञापन में दावा किया, ‘मेरी बेटी की 13 दिसंबर को मौत हो गई. जब उसे आष्टी के सरकारी अस्पताल ले जाया गया तब डॉक्टरों ने हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया. एक पुलिसकर्मी ने हमारे रिश्तेदारों से कह दिया कि मेरी बेटी एचआईवी से संक्रमित है और इसलिए आप सबको उनसे अंतिम संस्कार में नहीं शामिल होना चाहिए.'

मजदूर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी मृत बेटी के ससुराल वालों के साथ मिलीभगत की है. उसने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने उसकी बेटी को उसके ससुराल वालों द्वारा परेशान किए जाने की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी की मौत से जुड़ी अफवाह के कारण उनके बेटे और दूसरी बेटी ने परिवार से अलग रहना शुरू कर दिया.

मजदूर ने दावा किया कि गांव वालों ने उनके परिवार से बातचीत करना बंद कर दिया, इस तरह उन्हें सामाजिक रूप से बाहर कर दिया गया. 

बीड के एसपी नवनीत कंवत ने कहा मजदूर ने जिस पुलिसकर्मी पर आरोप लगाया है उसने केवल वही कहा था जो बात उसे डॉक्टर ने बताई थी कि उसकी बेटी एचआईवी पॉजिटिव थी.

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