Aiims Assault Case: हाई कोर्ट से Somnath Bharti को राहत, 2 साल कैद की सजा पर लगी रोक
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Aiims Assault Case: हाई कोर्ट से Somnath Bharti को राहत, 2 साल कैद की सजा पर लगी रोक

Aiims Assault Case: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख तय की है. भारती को लोवर कोर्ट द्वारा मंगलवार को फैसला सुनाए जाने के बाद हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक सोमनाथ भारती (Somnath Bharti) को राहत देते हुए एम्स (Aiims) के सुरक्षा कर्मियों पर हमले के मामले में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए उन्हें सुनाई गई दो साल कारावास की सजा निलंबित कर दी. जस्टिस सुरेश कैत ने भारती की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा. भारती ने खुद को दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

  1. सोमनाथ भारती को बड़ी राहत
  2. 2 साल कैद की सजा निलंबित
  3. 20 मई को केस की अगली सुनवाई

20 मई को अगली सुनवाई

हाई कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख तय की है. भारती को यहां लोवर कोर्ट द्वारा मंगलवार को फैसला सुनाए जाने के बाद हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था. उन्होंने हाई कोर्ट में दायर अपनी अपील में निचली अदालत के फैसले को दरकिनार किए जाने और याचिका लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित किए जाने की अपील की थी. उन्होंने मामले में दिए गए फैसले पर स्टे लगाने की गुजारिश भी है. इसी केस को लेकर पिछली जनवरी में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट से भारती को दो साल कैद की सजा सुनाई थी. इस सजा को मंगलवार को सत्र न्यायाधीश ने भी बरकरार रखा था.

काम आई बचाव पक्ष की दलील

भारती ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दावा किया कि विशेष न्यायाधीश ने उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया और सजा सुनाई. उन्होंने कहा कि मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और निचली अदालत का फैसला अभियोजन द्वारा गढ़ी गई झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी पर आधारित है. भारती ने याचिका में कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत और सत्र अदालत ने इस बात पर गौर नहीं किया कि वह मौजूदा और 3 बार से विधायक हैं. 

उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. इसके बाद हाई कोर्ट ने आईपीसी (IPC) की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने की नीयत से हमला करना) के तहत दोषसिद्धि को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि ये मामला एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आर एस रावत की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था.

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