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करहल: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव का आगाज हो चुका है और हर सियासी दल अपनी-अपनी जीत का दावा करने में जुटा है. यूपी में मुख्य रूप से सियासी जंग सत्ताधारी बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच होती दिख रही है. लेकिन बसपा, कांग्रेस और AAP जैसी पार्टियां भी चुनाव में हर बाजी लगाने को तैयार हैं.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करहल से विधान सभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. जी मीडिया ने इस बीच वहां के लोगों का मूड जानने की कोशिश की है. करहल सीट को अखिलेश यादव के लिए सबसे सेफ सीट माना जा रहा है क्योंकि ये उनके पैतृक गांव सैफई से बहुत नजदीक है.
करहल से सैफई की दूरी महज 5 किलोमीटर है लेकिन क्या अखिलेश यादव भी यहां की जनता के दिलों के इतने ही नजदीक हैं? वैसे तो इस जगह से मुलायम सिंह यादव के परिवार का पुराना नाता है. मुलायम सिंह यहीं के जैन इंटर कॉलेज के छात्र भी रहे और बाद में यहीं शिक्षक के तौर पर भी काम किया.
मुलायम सिंह के सभी भाई भी इसी कॉलेज से पढ़े हैं. ये विधानस भा सीट यादव बहुल है. साढ़े 3 लाख की वोटर वाली इस विधान सभा सीट पर करीब 1.5 लाख यादव वोटर हैं. 1993 से लेकर अगर 2002 को छोड़ दें तो अब तक इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है.
शायद यही वजह है कि अखिलेश यादव ने इस सीट को चुना है. बगल की सीट जसवंत नगर है, जहां से उनके चाचा शिवपाल यादव चुनावी मैदान में होंगे. सैफई उनकी ही विधान सभा सीट में आएगा. अखिलेश यादव यहां से चुनाव लड़कर पश्चिम उत्तर प्रदेश के वोटरों को संदेश देना चाहते हैं. करहल को पूरब और पश्चिम का बॉर्डर कहा जाता है.
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योगी आदित्यनाथ पूरब से तो अखिलेश यादव पश्चिम की सीट से चुनाव लड़ने का मैसेज अपने-अपने वोटरों को देना चाह रहे हैं.
पहली जगह तो करहल के आम लोग अखिलेश यादव के खिलाफ बोल रहे हैं. लेकिन दूसरी जगह जैन इंटर कॉलेज हैं, जहां ज्यादातर लोग अखिलेश और यादव परिवार के समर्थन में हैं. यहां तक कि छात्र भी लैपटॉप के लिए अखिलेश यादव को याद कर रहे हैं.
इसके अलावा बीजपी की तरफ से इस सीट से दावेदारी कर रहे संजीव यादव, अखिलेश यादव को हराने का दावा कर रहे हैं. संजीव यादव की पत्नी करहल नगर निगम की चैयरमैन हैं. संजीव खुद भी यहां से चैयरमैन रह चुके हैं.
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