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नई दिल्ली : संसद की कैंटीन के खाने की तारीफ आपने भी सुनी होगी. लेकिन इस खाने को लेकर मंगलवार को एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल लोकसभा सचिवाल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कैंटीन में दाल का ऑर्डर दिया. लेकिन दाल की प्लेम में चम्मच घुमाने पर उसमें पड़ी मकड़ी देखकर वह दंग रह गए.
इस मामले में अधिकारी ने तुरंत संसद की फूड मैनेजमेंट कमिटी के चेयरमैन एपी जितेंद्र रेड्डी को शिकायत की. शिकायत में अधिकारी ने लिखा है कि इस जहरीली दाल को खाने से उनकी तबियत खराब हो गई है. अधिकारी ने संसदीय मामलों के मंत्री (राज्य) एसएस अहलूवालिया से भी इस मामले की शिकायत की है.
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दाल में मकड़ी निकलने का यह मामला मंगलवार दोपहर लोकसभा के रिपोर्टिंग ब्रांच श्रीनिवासन के साथ करीब एक बजे हुआ. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक श्रीनिवासन ने बताया कि दो बाइट खाने के बाद दाल में मकड़ी पड़ी देखकर वह दंग रह गए. उन्होंने देखा की काफी बड़ी मकड़ी दाल में मरी हुई पड़ी है.
गौरतलब है कि संसद की कैंटीन में खाने-पीने की चीजों के दाम 2016 की शुरुआत में बढ़ाए गए थे. 1 जनवरी 2016 से ही संसद कैंटीन में खाने के लिए तीन गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ती है. पार्लियामेंट की कैंटीन को करीब 16 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिलती थी जो 2016 में खत्म कर दी गई.
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इन बदलाव के चलते कैंटीन ने ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ की नीति अपनाई थी. सब्सिडी खत्म करने के बाद 61 रुपये वाली थाली अब 90 रुपये में मिलती है जबकि 29 रुपये में मिलने वाली चिकन करी 40 रुपये में मिलेती है. कीमतों में यह बढ़ोतरी सांसदों, लोकसभा और राज्यसभा के अधिकारी, मीडियाकर्मियों, सुरक्षा स्टाफ और साथ ही मेहमानों के लिए भी लागू होती हैं.
हालांकि, रोटी और चाय जैसी कुछ चीजों की कीमतों में बदलाव नहीं किया गया था. इसके अलावा व्यंजनों की संख्या भी घटा दी गई थी. जहां पहले 125 से 130 व्यंजन रोज पकाए जाते थे अब अमूमन प्रतिदिन 25 व्यंजन पकाए जाते हैं.