Sri Lanka Crisis: संकट में पड़ोसी देश, क्या भारत देगा $2 बिलियन की आर्थिक मदद
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Sri Lanka Crisis: संकट में पड़ोसी देश, क्या भारत देगा $2 बिलियन की आर्थिक मदद

Sri Lanka Economic Crisis: भारी वित्तीय संकट के बीच फंसे श्रीलंका की तरफ एक बार फिर भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है. भारत जल्द ही सहायता की एक और खेप के रूप में $2 बिलियन तक धनराशि की पेशकश कर सकता है.

Sri Lanka Crisis: संकट में पड़ोसी देश, क्या भारत देगा $2 बिलियन की आर्थिक मदद

Sri Lanka Economic Crisis: (रिपोर्ट- आरती राय) खस्ताहाल इकोनॉमी और भारी वित्तीय संकट के बीच फंसे श्रीलंका की तरफ एक बार फिर भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है. भारत जल्द ही सहायता की एक और खेप के रूप में $2 बिलियन तक धनराशि की पेशकश कर सकता है. ये जानकारी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से आई है. हालांकि कई जानकारों का यह भी कहना है कि नई दिल्ली श्रीलंका में चीन से खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने की कोशिश लगातार कर रहा है, और ये सहायता उसी मुहिम का हिस्सा हो सकती है.

मदद की आस लगाए बैठा श्रीलंका

साल 1948 में स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका लगातार दुनिया के संभ्रांत देशों (Elite Nations) से मदद के लिए गुहार लगा रहा है. साथ ही श्रीलंका भारत और चीन सहित मित्र देशों से क्रेडिट लाइन, भोजन और ऊर्जा के लिए लगातार मदद की कोशिश कर रहा है. रॉयटर्स सूत्रों के हवाले से ये भी दवा करता है कि श्रीलंका के साथ विभिन्न चर्चाओं से अवगत एक भारतीय सूत्र ने कहा, 'हम निश्चित रूप से उनकी मदद करना चाहते हैं और अधिक स्वैप लाइन और ऋण की पेशकश करने को तैयार हैं.' वहीं इस जानकारी की पुष्टि श्रीलंका के सरकारी तंत्र के सूत्रों ने भी की है.

चीन ने दिया इतना कर्ज

रॉयटर्स ने ये भी स्पष्ट किया है कि भारत ने अब तक श्रीलंका को लोन, क्रेडिट लाइन और मुद्रा अदला-बदली में 1.9 बिलियन डॉलर देने की सहमति जताई है. वहीं श्रीलंका ने ईंधन के लिए 50 करोड़ डॉलर की और क्रेडिट लाइन मांगी है. जानकार ये भी कहते हैं कि चीन ने $1.3 बिलियन का सिंडिकेटेड लोन और $1.5 बिलियन-युआन मूल्यवर्ग का स्वैप बढ़ाया है. जबकि अधिक लोन और क्रेडिट लाइनों के लिए चीन और श्रीलंका के बीच अभी भी बातचीत जारी है.

भारत क्यों बना है श्रीलंका के लिए मददगार?

सूत्रों के मुताबिक भारत श्रीलंका के साथ अपने रिश्तों में और मजबूती लाना चाहता है. वहीं चीन के कर्ज के स्तर को कम करके पड़ोसी देश के नाते श्रीलंकाई जमीन पर अपनी मजबूत भागीदारी बनना चाहता है. जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में श्रीलंका पर चीन के साथ लगभग 3.5 बिलियन डॉलर का पहले से ही बकाया है.

चीन ने इन जगहों पर किया निवेश

चीन ने 2012-16 से श्रीलंका में सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का 30% हिस्सा लिया जो भारत से FDI का चार गुना ज्यादा है. चीन के इतने बड़े निवेश की वजह से श्रीलंका में चीन की जड़े काफी मजबूत हो गई. चीनी अब तक लोन के तौर पर श्रींलका में 11 अरब डॉलर से अधिक और तकरीबन 50 से अधिक परियोजनाओं को श्रीलंका में निवेश किया है. लेकिन सबसे बड़ी परियोजनाएं हंबनटोटा पोर्ट, कोलंबो पोर्ट सिटी और लकविजय थर्मल पावर प्लांट हैं. तीनों चीनी सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों द्वारा वित्त पोषित हैं और चीनी ठेकेदारों द्वारा बनाए जा रहे हैं. ये निवेश उच्च लागत पर आते हैं. एशियाई विकास बैंक या विश्व बैंक द्वारा किए गए लोन के लिए 2.5% से 3% की दरों की तुलना में कुछ चीनी ऋणों पर ब्याज दर 6.5% प्रति वर्ष है.

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वहीं भारत के लिए महत्वपूर्ण कोलंबो पोर्ट लगभग 30% से अधिक कंटेनर यातायात को संभालता है. इसलिए वहां किसी भी तरह की खराब परिस्थिति भारत के विदेशी व्यापार को नुकसान पहुंचा सकती है. आज के दिन में चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स की कोलंबो में विस्तार में 85% हिस्सेदारी है और चीन ने श्रीलंका के आयात के शीर्ष स्रोत के रूप में भारत की जगह ले ली है. बंदरगाहों और सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश, निर्माण उपकरण, स्टील और ट्रकों के लिए श्रीलंकाई बाजार को चीनी कंपनियों के लिए खोल दिया है जिससे भारत के लिए श्रीलंका में आर्थिक स्थान कम होता जा रहा है.

क्या मिला श्रीलंका को भारत और चीन से?

एकतरफ भारत ने गुरुवार को देश के सिंहल और तमिल नववर्ष से पहले चीनी, चावल और गेहूं के साथ जहाज भर के भण्डार भेजे हैं, वहीं दूसरी तरफ चीन बदले में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए श्रीलंका पर दबाव डाल रहा है. जिससे कोलंबो की इकोनॉमी को आने वाले समय में भारी नुकसान हो सकता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन की कार्रवाईयों ने श्रीलंकाई नेताओं को अपनी सभी जरूरतों के लिए भारत से संपर्क करने की अनुमति दी है. जिसमें चावल, उर्वरक, समुद्री सुरक्षा उपकरण, ट्रेन इंजन और उत्तरी मछुआरे परिवारों के सहयोगी जैसे अन्य सामान शामिल हैं.

क्या कहा श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने आर्थिक स्थिति के बारे में?

आज की स्थिति में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि केंद्रीय बैंक ने बीते मंगलवार यहां तक कह दिया कि बाहरी ऋण चुकाना 'चुनौतीपूर्ण और असंभव' हो गया है. क्योंकि वह ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने की कोशिश लगातार कर रहे हैं. वहीं श्रीलंका के ईंधन, भोजन, बिजली और दवा की कमी के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से आम जनता का सड़क पर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन जारी है.

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