भारत में एक ऐसी जगह, जहां 400 वर्षों से सजता है घोड़ों का बाजार, लाखों लोगों का उमड़ता है हुजूम
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भारत में एक ऐसी जगह, जहां 400 वर्षों से सजता है घोड़ों का बाजार, लाखों लोगों का उमड़ता है हुजूम

पिछले साल इस मेले में 15 लाख लोग शामिल हुए थे. इस साल यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.

घोड़े के व्यापारी राजा भाई बताते हैं कि, यह अश्व मेला काफी बड़ा हो गया है.

प्रशांत परदेशी, नंदूरबार: महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले में दत्त जयंती के दिन सें सारंगखेडा मेले में घोड़ों का बाजार लगता है. बुधवार 11 दिसंबर से सांरगखेडा मेले की शुरुवात हुई है. अगले 15 दिन चलने वाले इस मेले में देश भर से घोड़ों को बेचने के लिए लाया जाता है. इस साल देश भर से 2000 घोड़ों को बेचने के लिए सारंगखेडा मेले में लाए गए थे. यह परंपरा पिछले 400 सालों से रही है. लोगों के सहायता से यह मेला चलता है. यहां की एकमुख के दत्त मंदिर के मेले में लगनेवाला घोड़ों का बाजार सारंगखेडा की पहचान बन गया है.

आर्थिक मंदी की स्थिति और सरकारी मदद के बिना ही इस साल सारंगखेड़ा का यह मेले के घोड़ा बाजार का आयोजन हुआ. लोग सहभाग से ही इस मेले को सफल किया गया. देश के उची नस्ल के घोड़े इस बाजार में लाए जाते है, दो हजार से अधिक घोड़े यहां बेचने के लिए लाए गए है. 

सफेद घोडे के लिए भी सारंगखेडा के मेले की पहचान है. महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक ऐसी कई राज्यों में पर्यटक भी यहाँ आते है. पंचकल्याण, देवमान, कंठ, जयमंगल, पद्मम नस्ल के घोडे की खरीदारी यहाँ होती है.

पिछले साल इस मेले में 15 लाख लोग शामिल हुए थे. इस साल यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. घोड़े के व्यापारी राजा भाई बताते हैं कि, यह अश्व मेला काफी बड़ा हो गया है. यह अब विश्व मेले के रुप में उभर रहा है.

पर्यटक काशिनाथ सोनवने बताते है की, यह मेला भव्य होता है, इस मेले के घोड़े देखने मैं आता हूं, लोगों को एक ही जगह इतने सारे घोड़े देखेने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए.  

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