लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आम आदमी पार्टी (AAP) धीरे-धीरे अपने पांव जमाने में लग गई है. पार्टी दिल्ली में सत्ता हासिल करने के बाद यूपी में जमीन तलाशने की पुरजोर प्रयास में लग गई है. सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए सरकार को घेरने में लगे सपा, बसपा और कांग्रेस को इसी के दबाव के चलते जमीन पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है. आप के रणनीतिकारों का मानना है कि जब तक पार्टी यहां सत्ता पर काबिज नहीं होती है तब तक विपक्ष का विकल्प बनने की पूरी तैयारी कर रही है.


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AAP सांसद संजय सिंह की उत्तर प्रदेश पर निगाहें
दिल्ली में सत्ता मिलने के बाद से ही पार्टी ने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की ओर अपनी विशेष निगाह डालनी शुरू कर दी. आम आदमी पार्टी यूपी में अपने संगठन के विस्तार के लिए तेजी से सदस्यता अभियान चला रही है. इसके अलावा सूबे में सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने यूपी के प्रभारी संजय सिंह (Sanjay Singh) को मोर्चे पर लगाया है जो योगी सरकार को घेरने में तेजी से लग गए हैं.


संगठन को विस्तार देने लखनऊ पहुंचे AAP सांसद
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने राजधानी लखनऊ में डेरा जमा लिया है. लगातार जनहित से जुड़े मुद्दे उठाकर वह सरकार की आंख में खटकने लगे हैं. इसका उनको खमियाजा भी भुगतना पड़ रहा है. उनके ऊपर उप्र के कई जिलों में एफआईआर दर्ज हुई है. लेकिन वो पीछे नहीं हटे हैं. संजय सिंह न सिर्फ जनहित के मुद्दों पर पार्टी को सड़क पर उतार रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूती और विस्तार भी दे रहे हैं.


यूपी में विपक्षी दल के रूप में उभर रही AAP की छवि
राज्य में चाहे ब्राह्मणों की हत्या से शुरू हुई ब्राह्मण प्रेम की राजनीति हो, कोरोना में उपकरणों की खरीद का मुद्दा हो या फिर लखीमपुर में पूर्व विधायक की हत्या या फिर हाथरस कांड, सब मुद्दों पर आप ने आन्दोलन से लेकर गिरफ्तारियां दी. पार्टी की ओर से यह दिखाने का प्रयास किया गया मानों वही मुख्य विपक्षी दल है.


अभी तक यूपी से चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं
आप पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी ने बताया कि, आम आदमी पार्टी ने लगभग सभी जिलों में कमेटी बना ली है. इसके अलावा जो गतिविधियां तेज हुई है, उसके माध्यम से संगठन निर्माण को गति मिल रही है. 370 विधानसभाओं में 20 सदस्यों की कमेटी गठित की गई है. ब्लाकों और गांवों में संगठन को पहुंचाने पर जोर है. यही कमेटी के सदस्य ही पंचायत चुनाव के अच्छे प्रत्याशी तलाश कर चुनावी मैदान में उतारेंगे. विधानसभा चुनाव में जाने से पहले पार्टी अपना आन्तरिक सर्वे करेगी इसके बाद जनता के बीच जाएंगे. अभी विधानसभा चुनाव लड़ने की कोई घोषणा नहीं की गई है.


चुनाव के लिए UP में जमीनी मुद्दों को तलाश रही AAP
वैभव महेश्वरी ने बताया कि, आम आदमी जातिवादी राजनीति को तोड़ रही है. हम लोग मुद्दों की राजनीति करते हैं. यूपी का विपक्षी दल सोया हुआ है. सड़क पर दिखाई नहीं दे रहा है. जिलों में कोई सक्रियता नहीं है. हम लोगों ने मुद्दों को उठाकर विपक्ष की जगह भरने का प्रयास किया है.


वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि, यूपी में डेढ़ साल चुनाव को बचे हैं. ऐसे में सभी दल मजबूत विपक्ष के रूप में खड़े होंने की कवायद करेंगे. चुनाव जमीन पर जीता जाता है. मैनेजमेंट केवल परसेप्शन बनाता है. लेकिन इससे सफलता नहीं मिलती है. ऐसे में जमीन में संगठन खड़ा करना बहुत जरूरी है. यूपी में क्षेत्रीय पार्टियां और जातीय पार्टी तो बनी है, लेकिन राजनीतिक नहीं बन पायी है. आम आदमी पार्टी मुद्दों पर बनी है. यूपी में बहुत सफर करना है. पार्टी जगह जरूर बना सकती है. लेकिन वह स्पेस वोटों में कितना तब्दील होगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता.


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