माउंट आबू: ऐसिड अटैक पीड़ित 'लक्ष्मी' ने सुनाई अपनी दास्तान, बताई संघर्ष की कहानी
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माउंट आबू: ऐसिड अटैक पीड़ित 'लक्ष्मी' ने सुनाई अपनी दास्तान, बताई संघर्ष की कहानी

सिड अटैक (Acid Attack) की शिकार लक्ष्मी ने मुश्किल हालातों के बाद भी जिंदगी को जीने का जो हौसला दिखाया, वो हर किसी के लिए मिसाल हैं.

लक्ष्मी अग्रवाल के लिए जख्म आज भी हरे हैं.

सिरोही: जब मुश्किल हालातों में भी जीने का जुनून हो, तो रास्ते में आने वाली हर परेशानी आसान हो जाती है. इसी जुनून को चरितार्थ किया है लक्ष्मी अग्रवाल(Lakshmi Agrawal) ने. ऐसिड अटैक (Acid Attack) की शिकार लक्ष्मी ने मुश्किल हालातों के बाद भी जिंदगी को जीने का जो हौसला दिखाया, वो हर किसी के लिए मिसाल हैं.

संकटों की दीवारों को तोड़कर बनाया रास्ता
लक्ष्मी, उम्मीदों की आसमान पर लिखा एक ऐसा नाम है, जिसने जिंदगी को चलने का हुनर सिखाया. लक्ष्मी हौसलों का वो नाम है जिसने दिक्कतों की दीवारों को तोड़कर रास्ता बनाया. बात 15 साल पुरानी है, लेकिन जख्म आज भी हरे हैं. एक लम्हे ने जिंदगी की सफेद किताब पर दाग लगा दिए. कुछ जालिमों ने अपने जुल्म से एक लड़की की जिंदगी पर दर्द की दास्तान लिख दी. लेकिन वो लड़की हारी नहीं, उसने दुश्वारियों से मुंह नहीं मोड़ा, मुश्किलों को पार कर उसने कड़ी कठिनाइयों का सफर पार किया, आज लक्ष्मी एक मिसाल है.

लक्ष्मी ने बताया दर्द
सिरोही के आबूरोड के ब्रह्माकुमारी संस्थान में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंची लक्ष्मी के दर्द से निकली आह ने फिर से सारे जख्म ताजे कर दिए. दिल्ली की रहने वाली लक्ष्मी अग्रवाल के मुताबिक 15 साल पहले कुछ दरिदों ने उन पर एसिड फेंक दिया था. उस वक्त लक्ष्मी को ये भी नहीं पता था कि एसिड क्या होता है. 

अटैक के बाद लक्ष्मी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में लक्ष्मी को घर ले जाया गया और घर से सारे शीशे हटा दिए. ताकि लक्ष्मी खुद को शीशे में देख ना सके. पहले वाली लक्ष्मी बहुत डरपोक थी और जरा सी तेज आवाज में डर जाती थी. हादसे के बाद दोस्त-रिश्तेदार सब छोड़ कर चले गए. लेकिन फिर लक्ष्मी ने खुद लड़ने की ठानी और तय किया कि जिंदगी में कुछ करना है तो खुद से लड़ना जरूरी है. लक्ष्मी के मुताबिक जिन शीशों को उनसे दूर रखा जाता था, उन्हीं के सामने वो खड़ी हुई और अपनी लड़ाई खुद लड़ने का निश्चय किया.

उनके जीवन संघर्ष पर जल्द ही बनेगी फिल्म "छपाक'
दर्द में लिपटी लक्ष्मी की कहानी जो सुनता है, सिहर उठता है. लक्ष्मी से उस दौर को किस तरह निकाला, ये बताना काफी मुश्किल है. लेकिन लक्ष्मी ने कभी हिम्मत नहीं हारी. बता दें, दिल्ली की रहने वाली लक्ष्मी पर 2005 में बाजार में एसिड अटैक हुआ था.  अब उनके संघर्ष पर 'छपाक' फिल्म बन रही है. जिसमें दीपिका पादुकोण लक्ष्मी की भूमिका निभाएंगी. लक्ष्मी के मुताबिक इस फिल्म से एक सकारात्मक बदलाव आने वाला है. क्योंकि लोगों को पता चल जाएगा कि जिंदगी में कितनी समस्याएं आती हैं. लेकिन इसके बाद भी जब लक्ष्मी कुछ कर सकती है तो वो क्यों नहीं?
 
लक्ष्मी ने की थी स्टॉप सेल एसिड कैंपेन की शुरुआत
एसिड अटैक के बाद लक्ष्मी अग्रवाल ने स्टॉप सेल एसिड कैंपेन की शुरुआत की. जिसके बाद न्यायालय के आदेशों के बाद राज्य सरकारों की ओर से एसिड बिक्री को विनियमित करने के आदेश जारी किए. लक्ष्मी के मुताबिक इस कैंपेन के दौरान उन्होंने लोगों से एक मिनट का वीडियो भी बनाने की अपील की और हैशटैग स्टॉप एसिड के साथ लोगों को जोड़ा.

लक्ष्मी को यूनिसेफ से अंतरराष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण का मिल चुका अवार्ड
लक्ष्मी अग्रवाल को यूनिसेफ से अंतरराष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण का अवार्ड भी मिल चुका है. 2014 में मिशेल ओबामा की ओर से उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मान से नवाजा गया. लक्ष्मी की जिन्दगी समाज के लिए एक मिसाल है, लक्ष्मी की हिम्मत बेटियों के लिए हौसला है, जिसने मुश्किलों की जंजीरों को तोड़कर जिंदगी का रास्ता बनाया. आज दुनिया लक्ष्मी की हिम्मत को सलाम कर रही है.

Laxmi Upadhyay, News Desk

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