भीलवाड़ा पुलिस लाइन के पास सैकड़ों मकानों पर लाल निशान लगाया जा चुका है. प्रशासन ने ये लाल निशान उन मकानों पर लगाए हैं, जिन्हें सड़क बनाने के लिए तोड़ा जाना प्रस्तावित है.
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दिलशाद खान/भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा में पुलिस लाइन के पास ही बने गायत्री नगर में नगर विकास न्यास सैकड़ों मकान पर बुल्डोजर चलाने की तैयारी में है. वहीं, इस खबर को सुनकर लोगों की रातों की नींद उड़ी है. आशियाना छिनने के डर से लोगों के होश उड़े हुए हैं.
दरअसल, पुलिस लाइन के पास के इलाके में सड़क बनाई जानी है. इसके लिए जमीन अधिग्रहण होना है, प्रस्तावित सड़क के रूट में आने वाले घरों को तोड़ा जाना है. प्रशासन ने ऐसे कई मकानों पर लाल निशान लगा दिए हैं.
भीलवाड़ा पुलिस लाइन के पास सैकड़ों मकानों पर लाल निशान लगाया जा चुका है. प्रशासन ने ये लाल निशान उन मकानों पर लगाए हैं. जिन्हें सड़क बनाने के लिए तोड़ा जाना प्रस्तावित है. यह लाल निशान लगने के साथ ही क्षेत्र में हड़कम्प मच गया. लोगों ने स्थानीय विधायक विठ्ठल शंकर अवस्थी को अपनी व्यथा सुनायी.
वहीं, क्षेत्रवासी न्यास से टूटने वाले मकानों के मुआवजे के रूप में दूसरी जगह प्लॉट और मकान बनाने की कीमत की मांग कर रहे हैं. ऐसे ही एक पीड़ित ओमप्रकाश हाड़ा का कहना है कि कुछ भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए न्यास, मेवाड़ा मील से लेकर जोधडास चौराहे तक सड़क को 100 फीट रोड में तब्दील करना चाहता है. इसके लिए उन्होंने 11 साल पहले ही लोगों को नोटिस दिया थे.
वहीं इस नोटिस के बाद लोगों ने मांग की थी कि उन्हें मकानों का मुआवजा दिया जाए, लेकिन न्यास ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. तब से लेकर UIT प्रशासन कई बार लोगों को नोटिस दे चुका है. लेकिन मुआवज़े पर कोई बात नहीं हुई. इसके बाद अब मंगलवार को नगर विकास न्यास की टीम ने बिना मुआवजा दिये कई लोगों के मकानों पर लाल निशान लगा दिये हैं. जिसके कारण इलाके के लोगों में बेहद नाराज़गी है.
साथ ही, बरसों से यहां रह रहे लोगों का सवाल है कि वो अपने बसे-बसाये आशियाने खाली करके किसी और जगह पर कैसे चले जाएं. यहां पर गायत्री नगर और चपरासी कॉलोनी में करीब 250 मकान हैं जिसमें से सड़क बनने के कारण करीब 150 से ज्यादा मकान तोड़े जाने प्रस्तावित हैं. हाडा ने ये भी कहा कि उनकी मांग बस इतनी है कि अगर उनके घर गिराए ही जाने हैं. तो उन्हें मुफीद जगहों पर प्लॉट देकर वहां पर घर बनाने के लिए मुआवजe दे दिया जाए. तो लोगों को अपने घर छोड़ने में कोई ऐतराज़ नहीं है. लेकिन मांगें नहीं मानी जाने पर लोगों ने उग्र आन्दोलन के साथ ही कोर्ट की शरण जाने का ऐलान कर दिया है.
--Satendra yadav, news desk