महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आज कहा है कि महाराष्ट्र सरकार एक बार अपनी महत्वाकांक्षी ऑटोमेटेड मल्टीमॉडल बॉयोमीट्रिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एएमबीआईएस) लागू करेगी तो राज्य में अपराध का पता लगाने और दोषसिद्धि दर में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी.
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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आज कहा है कि महाराष्ट्र सरकार एक बार अपनी महत्वाकांक्षी ऑटोमेटेड मल्टीमॉडल बॉयोमीट्रिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एएमबीआईएस) लागू करेगी तो राज्य में अपराध का पता लगाने और दोषसिद्धि दर में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रणाली की विशिष्टता यह है कि मोबाइल लाइव स्कैनर्स की मदद से पुलिस की एक गश्ती टीम घटनास्थल पर ही पता लगा सकेगी कि क्या संदिग्ध का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड रहा है या नहीं. फडणवीस ने बताया, ‘‘घटनास्थल पर हमेशा की तरह फ्रिंगर प्रिंट के जरिए अपराध का पता लगाने के अलावा इस प्रणाली से रेटिना स्कैन, लिखने वाले पैड, हथेली और यहां तक कि तलवों के स्कैन से 100 फीसदी सटीकता के साथ अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी और यह जानकारी भी महज 0.46 मिलीसकेंड के भीतर मिल जाएगी. ’’
सहायक पुलिस निरीक्षक (साइबर) और बॉयोमीट्रिक्स विशेषज्ञ प्रसाद जोशी ने कहा कि सबूत के रूप में फ्रिंगर प्रिंट को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है और यदि यह उपलब्ध हो तो इसे अदालत में स्वीकार किया जाता है. जोशी ने बताया, ‘‘लेकिन 2012 में प्रणाली के ठप्प होने के बाद से सीआईडी हाथ से स्कैन करती है और घटनास्थल पर उपलब्ध फ्रिंगर प्रिंट डाटा से आठ से दस विभिन्न विशेषज्ञताओं से इसका मेल कराया जा रहा है.
काम इतना अधिक है कि सीआईडी को अभी संग्रहित 6.50 लाख फ्रिंगर प्रिंट डेटा की जांच करनी है. ’’ उन्होंने कहा कि राज्य फ्रिंगर प्रिंट आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), अन्य राज्य सरकारों, अन्य जांच एजेंसियों, अदालतों, अपराध विशेषज्ञों और यहां तक की इंटरपोल और विदेशी जांच एजेंसियों के साथ साझा कर सकता है.
इनपुट भाषा से भी