गांव की स्कूल प्रबंधन कमेटी की गुहार पर बिजली विभाग ने स्कूल में बिजली का कनैक्शन तो जोड़ दिया है, लेकिन 5 दिनों के लिए.
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रामेश्वरम : मिसाइल मैन और जनता का राष्ट्रपति कहे जाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी हर चीज, चाहे उनका घर हो या स्कूल या फिर उनकी प्रयोगशाला देश के लिए विरासत होने के साथ-साथ लोगों के लिए प्रेरणा स्थल भी हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडू के रामेश्वरम के मंडपम पंचायत यूनियन मिडल स्कूल में हासिल की थी. लेकिन आज इस स्कूल में बच्चे बिना बिजली के ही पढ़ रहे हैं. बिजली का बिल नहीं चुकाए जाने पर बिजली विभाग ने स्कूल की बिजली काट दी है.
बताया जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन ने दो साल से बिजली का बिल नहीं चुकाया था. इस समय स्कूल पर बिजली विभाग के 10 हजार रुपये बकाया हैं. गांव की स्कूल प्रबंधन कमेटी की गुहार पर बिजली विभाग ने स्कूल में बिजली का कनैक्शन तो जोड़ दिया है, लेकिन 5 दिनों के लिए. इन दिनों तमिलनाडू में गर्मी पूरे जोरों पर है. ऐसे में पंखों के बिना कक्षा में बैठकर पढ़ाई करना और पढ़ाना बच्चों तथा शिक्षकों, दोनों के लिए मुश्किलभरा साबित हो रहा है. गर्मी के कारण कुछ बच्चे तो स्कूल आ भी नहीं रहे हैं.
Earlier we used to pay bill but stopped doing that after state govt took up responsibility for it. Now pending bills are more than Rs 10,000. We contacted the Electricity Board and they have agreed to provide electricity only for 5 more days: Village Education Committee President pic.twitter.com/f70GtBm3SL
— ANI (@ANI) 19 अप्रैल 2018
उधर, स्कूल प्रबंधन का कहना है कि पहले वह नियमित रूप से बिजली के बिल का भुगतान करते थे, लेकिन राज्य सरकार ने बिजली का बिल अदा करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने के बाद, स्कूल प्रबंधन ने बिल का भुगतान करना बंद कर दिया.
भारत के मिसाइल मैन
पूर्व राष्ट्रपति ने एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे. बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए कलाम को भारत का मिसाइल मैन भी कहा जाता है. इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई.