आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने एएनआई को दिए अपने बयान में कहा, 'हमने केवल रमजान के वक्त अपने ऑपरेशन बंद किए थे और वह भी सिर्फ इसलिए ताकि रमजान के दौरान अमन कायम किया जा सके'.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार (19 जून) को बीजेपी द्वारा पीडीपी से गठबंधन तोड़ने और महबूबा मुफ्ती के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद बुधवार (20 जून) से राज्यपाल शासन लागू हो गया है. यह आठवीं बार है जब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू किया गया है. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा के शासन काल में चौथी बार राज्यपाल शासन लागू किया गया है. घाटी में राज्यपाल शासन के लागू होने के बारे में आर्मी चीफ- जनरल बिपिन रावत ने कहा कि, राज्यपाल शासन में भी ऑपरेशन्स पहले की तरह चलते रहेंगे. उन्होंने कहा, उन पर किसी भी तरह का पॉलिटिकल दवाब नहीं है.
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने एएनआई को दिए अपने बयान में कहा, 'हमने केवल रमजान के वक्त अपने ऑपरेशन बंद किए थे और वह भी सिर्फ इसलिए ताकि रमजान के दौरान अमन कायम किया जा सके लेकिन हमने देखा कि रमजान के दौरान भी सीजफायर के बावजूद आतंकी बाज नहीं आए. जिस तरह से पहले ऑपरेशन चल रहे थे, उसी तरह से हम आगे भी नियमों के मुताबिक ऑपरेशन करते रहेंगे. हम पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं है और राज्यपाल शासन में भी हम अपने ऑपरेशन्स करते रहेंगे'.
जम्मू कश्मीर : एनएन वोहरा के कार्यकाल में चौथी बार लगा राज्यपाल शासन, बन गया रिकॉर्ड
We only stopped our operations during Ramzan. But, we saw what happened. The imposing of Governor's rule will not affect our operations. Our operations will go on like they used to. We don't face any political interference: General Bipin Rawat, Army chief pic.twitter.com/aOv0saHNE4
— ANI (@ANI) June 20, 2018
बता दें कि बीजेपी के महासचिव राम माधव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फेंस करके महबूबा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी. राम माधव ने कहा था कि उप-मुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता व अन्य नौ मंत्रियों ने राज्यपाल एनएन वोहरा व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. राज्य के नेताओं को परामर्श के लिए तत्काल राष्ट्रीय राजधानी बुलाया गया था.
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पीडीपी पर बीजेपी ने लगाए थे गंभीर आरोप
राम माधव ने कहा, "सरकार के बीते तीन सालों के कार्यों की समीक्षा करने और गृह मंत्रालय व एजेंसियों से परामर्श करने व प्रधानमंत्री व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से सलाह के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जम्मू एवं कश्मीर में गठबंधन का आगे बढ़ना मुश्किल है."
उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए जम्मू एवं कश्मीर में मौजूदा समय में पैदा हुए हालात में गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो गया है. घाटी में आतंकवाद और हिंसा बढ़ी है और कट्टरता तेजी से फैल रही है. घाटी में नागरिकों के मूल अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार खतरे में हैं और श्रीनगर में दिनदहाड़े वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या इसकी मिसाल है.
उन्होंने कहा, "तीन साल के बाद आज हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पूरे राष्ट्र के हित में जिसका जम्मू एवं कश्मीर अखंड हिस्सा है और देश की अखंडता व संप्रभुता के हित में सुरक्षा के बड़े हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हमने यह फैसला किया है कि राज्य की मौजूदा स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए यह राज्य की सत्ता की बागडोर राज्यपाल को थोड़े वक्त के लिए सौंपने का समय है. स्थिति के सुधरने के बाद हम विचार करेंगे कि भविष्य में क्या करना है और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे ले जाएंगे."
2014 में हुए थे चुनाव
जम्मू और कश्मीर में दिसंबर, 2014 में चुनाव हुए थे. इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला थी. 89 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 25 व पीडीपी को 28 सीटें मिलीं थीं, जबकि नेशनल कांफ्रेस को 15 व कांग्रेस 12 सीटों पर जीत मिली थी. चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में दो महीने से ज्यादा समय के बाद पीडीपी-बीजेपी सरकार एक मार्च, 2015 को सत्ता में आई थी.