बंद होने जा रहा है शिमला का मशहूर रेस्तरां बालजीज, PM मोदी ने भी खाए है यहां के गुलाब जामुन
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बंद होने जा रहा है शिमला का मशहूर रेस्तरां बालजीज, PM मोदी ने भी खाए है यहां के गुलाब जामुन

जब शिमला में ब्रेड नहीं आती थी तो बालजीस ने ही ब्रेड को लॉन्च किया था. ब्रेड को बालजीस के नाम से ही शहरवासी जानते थे. 

सुप्रीमकोर्ट में बालजीस रेस्तरां को लेकर केस चला था. इसमें संपत्ति मालिक ज्यादा किराये की मांग कर रहे थे.

प्रेम शर्मा/शिमला: देश-दुनिया में पहचान बन चुके शिमला के रिज मैदान के चर्च की तरह मालरोड पर बने बालजीस रेस्तरां का 64 साल का सुहाना सफर 10 जुलाई को खत्म हो जाएगा. सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को बालजीस रेस्तरां के मालिकों को इसे खाली कर संपत्ति के मालिक को सौंपना है. 1954 में इस रेस्तरां को चंद्र बालजीस ने शुरू किया था. इस सफर में रेस्तरां ने न केवल नाम कमाया बल्कि शिमला को कुछ नया स्वाद भी लगाया. सैलानियों व स्थानीय लोग भी मालरोड पर टहलने के बाद बालजीस के गुलाब जामुन और पेस्ट्री का स्वाद चखना नहीं भूलते थे. 

रेणु बालजीस पति की मृत्यु के बाद 1996 से लगातार खुद रेस्तरां को चला रही हैं. उन्होंने कहा कि इसे बचाने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन अब कुछ भी हाथ में नहीं है. काफी बार बातचीत तक की लेकिन, कोई रास्ता नहीं निकल पाया है. इसलिए सुप्रीमकोर्ट के आदेश के तहत इसे 10 जुलाई को ही बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि बालजीस की शुरुआत इंडियन खाने से शुरू की गई थी. समय के साथ चेंज होता रहा, जैसे-जैसे लोगो की डिमांड होती रही उन की डिमांड को पूरा करते रहे. यही कारण था कि आम लोगों का रुझान बालजीस की तरफ हमेंशा रहा.

उन्होंने बताया कि बालजीस स्वीट्स, जिसके दुकान के गुलाब जामुन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बहुत पसंद हैं. जब नरेंद्र मोदी हिमाचल भाजपा के प्रभारी थे तो यहां कई बार गुलाब जामुन का स्वाद चखने आया करते थे. हाल ही में उन्होंने नमो एप के जरिये भी बालजीस के गुलाब जामुन का जिक्र किया था. वहीं, दूसरी ओर यह काम करने वाले वर्कर भी काफी निराश है और उन्हें अपने भविष्य की चिंता होने लगी है. लगभग 70 के करीब वर्कर बाल्जीस में काम करते थे. इन में से कई ऐसे भी है जिन्होंने अपनी जिन्दगी के 40 साल इसी बालजीस में लगा दिए. अपना और अपने परिवार का पालन पोषण यही से किया परन्तु बालजीस के बंद होने से वो काफी निराश है.

इसे लेकर यहां आने वाले कस्टमर भी काफी निराश हैं. उनका कहना है कि वो काफी लम्बे समय से यहां पर आ रहे हैं. यहां का खाना और यहां का स्टाफ काफी अच्छा था और यहां का माहौल बिलकुल घर जैसा था. जैसे ही उन्हें पता चला कि बालजीस बंद होने वाला है वो अपनी फैमली के साथ बालजीस रेस्तरां में पहुंचे.

दरअसल, सुप्रीमकोर्ट में बालजीस रेस्तरां को लेकर केस चला था. इसमें संपत्ति मालिक ज्यादा किराये की मांग कर रहे थे. वर्तमान में इस रेस्तरां का 1.5 लाख किराया है. संपत्ति मालिक 25 लाख तक की मांग कर रहे थे. ऐसे में दोनों के बीच में समझौता नहीं हो सका. इसलिए अब रेस्तरां की संचालिका रेणु बालजीस ने 10 जुलाई को अंतिम वर्किंग डे तय किया है. पांच दिन इसे खाली करने के लिए रखे गए हैं. 

कभी ब्रेड को भी बालजीस के नाम से जानते थे शहरवासी
जब शिमला में ब्रेड नहीं आती थी तो बालजीस ने ही ब्रेड को लॉन्च किया था. ब्रेड को बालजीस के नाम से ही शहरवासी जानते थे. बालजीस की ब्रेड का स्वाद शहरवासियों को ऐसा लगा कि कभी भी नहीं भूलेगा. लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर ब्रेड लेने बालजीस पहुंचते थे. या फिर एक टीन का ट्रंक लेकर बुजुर्ग मोहल्लों में ब्रेड को बेचते थे. उपनगरों में शुरू में शाम के समय भी सप्लाई पहुंचती थी. आज भी इनकी ब्रेड के खरीदार हैं.

चॉकलेट टॉफी से की गई थी शुरुआत
चॉकलेट की खालिस टॉफी पहली बार बालजीस रेस्तरां ने ही शिमला में लॉन्च की थी. इसके बाद से मार्केट में भले ही कई प्रोडेक्ट आए हों लेकिन इसकी मार्केट को कोई चुनौती नहीं दे सका. आज भी ये डिमांड में रहती है. 

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