मणिपुर में कांग्रेस को झटका , छह विधायकों ने दिया इस्तीफा
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मणिपुर में कांग्रेस को झटका , छह विधायकों ने दिया इस्तीफा

सभी एमएलए कांग्रेस के उन आठ विधायकों में शामिल हैं जो पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए सोमवार को विधानसभा (legislative assembly) के एक दिवसीय सत्र में शामिल नहीं हुए थे

फाइल फोटो

इम्फाल: कांग्रेस को कई राज्य में आन्तरिक कलह झेलना पड़ रहा है. मणिपुर में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. यहां कांग्रेस के छह विधायकों (MLA) ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. पार्टी के विधायक ओ हेनरी सिंह ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

  1. कई राज्यों में कांग्रेस झेल रही आतंरिक कलह 
  2. भाजपा नेता एन बीरेन सिंह सरकार ने हासिल किया था विश्वास मत 
  3. सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अध्यक्ष समेत 29 विधायक जबकि कांग्रेस के पास 24 विधायक थे

गौरतलब है कि ये सभी एमएलए कांग्रेस के उन आठ विधायकों में शामिल हैं जो पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए सोमवार को विधानसभा (legislative assembly) के एक दिवसीय सत्र में शामिल नहीं हुए थे.  इस सत्र में भाजपा नेता एन बीरेन सिंह सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया था. 

वांगखाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक हेनरी सिंह के अलावा इस्तीफा (resign) देने वाले विधायकों में ओइनम लुखोई (वांगोई सीट), मोहम्मद अब्दुल नासीर (लिलोंग सीट), पोनम ब्रोजन (वांगजिंग तेंठा सीट), नगमथांग होकिप (सैतू सीट) और गिनसुआनहु (सिंघट सीट) हैं. 

इन विधायकों ने ओ इबोबी सिंह के नेृतत्व में विश्वास की कमी का हवाला देते हुए कहा कि उनकी वजह से कांग्रेस राज्य में तब भी सरकार बनाने में विफल रही जब वह राज्य में अकेली सबसे बड़ी पार्टी थी. 

हेनरी सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष युमनम खेमचंद सिंह ने विधानसभा सत्र के बाद सोमवार रात में उन्हें बुलाया था और उनके इस्तीफे पत्र की उन्होंने बताया कि अध्यक्ष ने अब तक उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किये हैं. हेनरी सिंह ने कहा कि वे पार्टी की सदस्यता से शाम को इस्तीफा देंगे.

भले ही विश्वास मत में सरकार की जीत पहले से ही निश्चित थी, लेकिन बेहद जरूरी सत्र में कांग्रेस के आठ विधायकों की गैरमौजूदगी ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक दांव को दर्शाया है. 60 सदस्यों वाली विधानसभा में अध्यक्ष समेत मौजूदा विधायकों की संख्या 53 है. अध्यक्ष बराबर मत होने पर अपने मत का इस्तेमाल कर सकते थे. 

इससे पहले विधानसभा के चार सदस्य अयोग्य ठहराए गए थे और भाजपा के तीन सदस्यों ने कुछ समय पहले इस्तीफा दे दिया था. सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अध्यक्ष समेत 29 विधायक जबकि कांग्रेस के पास 24 विधायक थे. इनमें से कांग्रेस के आठ विधायक सत्र में शामिल नहीं हुए. 

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