बंगाल में ‘रथ यात्रा’ निकालने की अनुमति के लिए अदालत पहुंची बीजेपी
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बंगाल में ‘रथ यात्रा’ निकालने की अनुमति के लिए अदालत पहुंची बीजेपी

बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह सात दिसंबर को राज्य में तीन ‘रथ यात्राओं’ पर आधारित पार्टी की ‘लोकतंत्र बचाओ रैली’ की शुरुआत करने वाले हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो)

कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)ने यह दावा करते हुए बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया कि पश्चिम बंगाल प्रशासन ने राज्य में सात दिसम्बर से तीन रैलियां निकालने की इजाजत मांगने वाले उसके आवेदनों पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह सात दिसंबर को राज्य में तीन ‘रथ यात्राओं’ पर आधारित पार्टी की ‘लोकतंत्र बचाओ रैली’ की शुरुआत करने वाले हैं.

यह मामला न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की पीठ के समक्ष पेश हुआ जहां बीजेपी के वकील और महाधिवक्ता किशोर दत्त ने एक दूसरे के दावों का खंडन किया. इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को एक साथ बैठ कर मुद्दे का निपटारा करने और फिर अदालत आने को कहा.

बाद में, एजी ने कहा कि तीन रैलियों में जबरदस्त सुरक्षा प्रबंध की जरूरत होगी और इसके लिए उन्हें राज्य सरकार से निर्देश लेने होंगे. उन्होंने इसके लिए बृहस्पतिवार तक का समय मांगा. अदालत ने इसके लिए समय दे दिया.

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने राज्य में इस तरह की शिकायत को ले कर अदालत का रुख किया है. भाजप ने अदालत में दावा किया कि उसने तीन रैलियों के लिए इजाजत मांगी थी, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला.

बीजेपी की योजना सात दिसंबर को उत्तर में कूचबिहार से, नौ दिसंबर को दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप से, और 14 दिसंबर को बीरभूक के तारापीठ मंदिर से रैली निकालने की है.

महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक या गृह सचिव रैलियों के लिए इजाजत देने वाले सक्षम प्राधिकार नहीं हैं और एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते याचिकाकर्ता (बीजेपी) को यह बात जाननी चाहिए. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को यह पता होना चाहिए कि उसे इसके लिए किसे आवेदन भेजना है.

इस पर बीजेपी के वकील ने कहा कि उन्होंने उन जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी आवेदन किय है जहां से तीन ‘रथ यात्राएं’ गुजरेंगी.

बीजेपी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिंदय मित्रा ने कहा था कि 29 अक्टूबर को डीजी-आईजीपी को आवेदन किया गया था और फिर 14 नवंबर को गृह सचिव को आवेदनपत्र भेजे गए. उन्होंने कहा कि बाद की तारीखों में इन अधिकारियों को स्मरणपत्र भेजे गए, लेकिन बीजेपी को कोई जवाब नहीं मिला. मित्रा ने अदालत को बताया कि राज्यपाल केएन त्रिपाठी ने भी आवेदन पत्रों पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखे.

इस पर महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक प्राधिकार हैं और इस तरह के उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति को किसी राजनीतिक दल के आवेदन के बारे में इस तरह का आग्रह करना उचित नहीं है. 

न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक जिम्मेदार अधिकारी हैं और उन्हें आवेदनकर्ताओं को बताना चाहिए था कि वे सक्षम प्राधिकारी नहीं हैं.

महाधिवक्ता ने कहा कि तीन यात्राएं 41 दिन में पूरी होनी हैं और यह राज्य के सभी जिलों से हो कर गुजरेंगी. इसके सुरक्षा पहलुओं का फैसला एक दिन के अंदर नहीं किया जा सकता.

(इनपुट - भाषा) 

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