निकाय चुनाव में जीत का दंभ चुनावी मैदान में उतरने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार अपना हर कदम बड़े ही सोच समझ कर रख रही है.
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अविनाश जगनावत, उदयपुर: शहर के पिछले पांच निकाय चुनावों में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार पुरे दम खम के साथ निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गई है. निकाय चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पार्टी हर कदम फूंक फूंक कर रख रही है. यही कारण है कि पीसीसी चीफ सचिन पायल भी यह संकेत दे चूके हैं कि पार्षदों के टिकट स्थानिय स्तर पर ही तय होगा. ऐसे में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने से पहले प्रभारी मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल खुद हर आवेदक से वन टू वन मुलाकत कर रहे हैं.
उदयपुर शहर के निकाय चुनाव में जीत दर्ज करना कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा से लोहे के चने चबाने के समान रहा है. पिछले पांच निकाय चुनावों की बात करें तो यहां कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन हर चुनाव में गिरता गया और वर्ष 2015 में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस के पार्षदों की संख्या महज तीन रह गई. जिसका मुख्य कारण पार्टी के नेताओं के बीच बढी गुटबाजी और टिकिट वितरण में रही अनियमितता रही है.
यही वजह है कि इस बार के निकाय चुनाव में पार्टी किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है. पार्टी के पदाधिकारी प्रयास कर रहे हैं कि सभी की सहमती के बाद ही चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की सूचि जारी की जाए. यही नहीं उदयपुर प्रवास पर आए पीसीसी चीफ सचिन पायलट भी साफ कर चूके हैं कि निकाय चुनाव में उतरने वाले प्रत्याशियों का फैसला स्थानिय स्तर पर ही किया जाएगा.
निकाय चुनाव में जीत का दंभ चुनावी मैदान में उतरने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार अपना हर कदम बड़े ही सोच समझ कर रख रही है. यही कारण है कि टिकट विरण से पहले प्रभारी मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल, उदयपुर प्रभारी महेन्द्रजीत सिंह मालविया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ गिरिजा व्यास, सीडब्ल्यूसी मेम्बर रघुवीर मीणा और पूर्व विधायक सज्जन कटारा के साथ कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ सभी दावेदारों से वन टू वन बात कर रहे हैं. मंत्री मेघवाल ने साफ कहा कि सभी पदाधिकारियों से विचार विमर्श के बाद ही चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की लिस्ट को जारी किया जाएगा. वही पार्टी एक जुट हो कर पुरे दम खम के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी.
बहरहाल उदयपुर शहर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली कांग्रेस पार्टी को अगर नगर निगम के चुनाव जीत दर्ज करनी है तो पहले पार्टी के अंदर चल रहे अंतर कलह से पार पाना होगा. अगर पार्टी के वरिष्ठ नेता अंदरूणी गुटबाजी को पाटने में सफल हुए तो चुनावी जंग जितने की राह आसान हो जाएगी. वरना इस बार भी कांग्रेस के लिए शहर के सत्ता की कुर्सी तक पहुंच पाना एक ख्वाब ही बन कर रहा जाएगा.