डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट का ममता सरकार को अल्टीमेटम, '7 दिन में समस्या का हल निकालें'
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि डॉक्टरों से मारपीट की घटना पर पुलिस ने क्या किया.
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नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल से उठी डॉक्टरों की हड़ताल की आंच शुक्रवार को पूरे देश में फैल गई है. 12 से अधिक राज्यों में डॉक्टर हड़ताल पर हैं. पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाई है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए ममता बनर्जी को निर्देश दिया कि वह 7 दिन में डॉक्टरों से बात करके समस्या का हल निकालें. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा है कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कदम उठाए गए. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि डॉक्टरों से मारपीट की घटना पर पुलिस ने क्या किया.
बता दें कि कोलकाता के एक अस्पताल में तीमारदारों की ओर से डॉक्टरों के साथ की गई मारपीट के बाद हुई डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में गुरुवार को याचिका लगाई गई थी. इस याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. इस याचिका में हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की गई थी. याचिका दायर करने वाले डॉक्टर कुणाल साहा के वकील श्रीकांत दत्त ने बताया था कि बीते 10 जून को कोलकाता के नील रतन सरकार अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद दो डॉक्टरों को उसके परिजनों की ओर से बुरी तरह पीटा गया.
इस घटना के बाद एनआरएस अस्पताल के चिकित्सक को घायल अवस्था में प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इसके विरोध में एनआरएस यानी नील रतन सरकार अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी, जिसके चलते काफी मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पूरे बंगाल के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने लगातार 48 घंटे तक कोई परिसेवा नहीं दी. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल की.
इसी के विरोध में एक डॉक्टर कुणाल साहा ने कोलकाता हाई कोर्ट में गुरुवार को एक मामला दायर किया था. अपने आवेदन में कुणाल ने कहा है कि बिना किसी देरी के राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा से वंचित मरीजों को जल्द से जल्द सुविधा मुहैया करवाई जाए ताकि किसी भी मरीज को अस्पताल से खाली हाथ न जाना पड़े. साथ ही जो डॉक्टर इस हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं. उनके खिलाफ कठोर कदम उठाया जाए.
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