दिल्ली के 'दिल' कनॉट प्लेस का रीगल सिनेमा 30 मार्च को बंद हो गया. रीगल के बाद अब दिल्ली का एक और ऐतिहासिक सिनेमाघर बंद हो गया है. हालांकि, रीगल सिनेमा की तरह उसके बंद होने को इतनी तवज्जो नहीं मिल, लेकिन दिल्ली का ये सिनेमाघर कई सुनहरी यादों का गवाह रहा है.
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नई दिल्ली : दिल्ली के 'दिल' कनॉट प्लेस का रीगल सिनेमा 30 मार्च को बंद हो गया. रीगल के बाद अब दिल्ली का एक और ऐतिहासिक सिनेमाघर बंद हो गया है. हालांकि, रीगल सिनेमा की तरह उसके बंद होने को इतनी तवज्जो नहीं मिल, लेकिन दिल्ली का ये सिनेमाघर कई सुनहरी यादों का गवाह रहा है.
बाहुबली-2 के राइट्स नहीं मिलने के बाद पहले से नुकसान झेल रहा ऐतिहासिक शीला सिनेमा बंद हो गया. पहाड़गंज का शीला सिनेमा ने पिछले 56 सालों में कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों का गवाह रहा है. अब 56 साल बाद शुक्रवार को इस सिनेमाहॉल का पर्दा हमेशा के लिए गिरा दिया गया है.
पहाड़गंज स्थित इस ऐतिहासिक सिनेमाघर की स्थापना जनवरी 1961 में हुई थी. यह उन 65 थियेटरों में शामिल है जो ‘बाहुबली - 2’ के प्रदर्शन का अधिकार पाने में नाकाम रहे हैं.
गहरे आर्थिक घाटे में चल रहा था सिनेमाघर
सिंगल स्क्रीन शीला सिनेमाघर गहरे आर्थिक घाटे में चल रहा था. शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म ‘बाहुबली - 2’ के प्रदर्शन का अधिकार नहीं मिलने पर यह नुकसान कई गुना बढ़ गया.
शीला सिनेमा के मालिक उदय कौशिक ने शनिवार को बताया, ‘हम कल से बंद हो गए. हम नुकसान में चल रहे थे और सिनेमाघर का रख-रखाव करना हमारे लिए मुश्किल साबित हो रहा था.’
कौशिक ने कहा कि बंद होना तो तय था, लेकिन ‘बाहुबली - 2’ सिनेमाघर को एक नया जीवन दे सकता था.
Iconic #ShielaCinema is the latest #singlescreen theatre to shut down in Delhi after #Regal.
— Press Trust of India (@PTI_News) April 29, 2017
15 साल में बनकर हुआ था तैयार
शीला सिनेमाघर दूसरे विश्व युद्ध से पहले बनना शुरू हुआ था. उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था. उस वक्त ये सिनेमाहॉल बनना शुरू हुआ था, लेकिन इसे बनने में पूरे 15 साल लग गए थे.
दरअसल, साल 1937 में दिल्ली के नामी कारोबारी डीसी कौशिश ने करीब 5000 स्क्वेयर फुट प्लॉट खरीदने के कुछ वक्त बाद यहां सिनेमा कॉम्प्लेक्स बनाना शुरू किया. सिनेमाहॉल बन ही रहा था कि इसी दौरान दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया. नतीजन सिनेमा बनाने के लिए डीसी कौशिस को एक-एक ईंट और हर सामान खरीदने के लिए अंग्रेज सरकार से इजाजत लेनी पड़ती थी. यही वजह रही कि इस सिनेमाघर को बनने में लंबा समय लगा.
1961 में हॉलीवुड फिल्म की स्क्रीनिंग के साथ शुरू हुआ
12 जनवरी 1961 को हॉलीवुड मूवी सॉलमन एंड शीबा की स्क्रीनिंग के साथ शुरू हुआ था. इस सिनेमाघर में एसएस राजामौली की नई फिल्म 'बाहुबली 2' किन्हीं कारणों से प्रदर्शित नहीं हो सकी, जिसके कारण इसे बंद करना पड़ा.
आखिरी फिल्म थी 'फेट एंड फ्यूरियस'
बता दें कि इस सिनेमाघर में आखिरी प्रदर्शित फिल्म भी हॉलीवुड ही थी. यहां आखिरी बार ‘फेट ऑफ द फ्यूरियस’ थी, जो अच्छी चली.
अमिताभ बच्चन ने यहीं देखी थी अपनी पहली फिल्म
'शीला' की शुरुआत 1961 में हुई थी, तब अमिताभ ने पिता के साथ यहां फिल्म देखी थी। 1969 में जब अमिताभ की पहली फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' दिल्ली के 'शीला' सिनेमा में रिलीज हुई, तब अमिताभ पहले दिन अपने माता-पिता के साथ इसे देखने गए।
उन दिनों अमिताभ जैसलमेर में सुनील दत्त की फिल्म 'रेशमा और शेरा' की शूटिंग से छुट्टी लेकर सिर्फ इस फिल्म को देखने दिल्ली आए थे और इसके अलावा अमिताभ ने कई बार किरोड़ीमल कॉलेज से बंक मारकर भी यहां कई फिल्में देखी थीं।
सिंगल स्क्रीन से मल्टीप्लेस में बदलना चाहते हैं
कौशिक ने कहा, ‘अगर हमने इस फिल्म का प्रदर्शन किया होता तो हम कुछ राजस्व कमा पाने में सफल रहते लेकिन यह भी कोई बड़ा कारण नहीं था. असल सवाल यह था कि हम कब बंद हों.’
उन्होंने बताया कि वह शीला को मल्टीप्लेक्स में बदलने की आशा करते हैं. शहर में सिंगल स्क्रीन वाले कई सिनेमाघर अब मल्टीपल स्क्रीन के साथ चल रहे हैं. जिनमें प्लाजा, संगम, सत्यम और रिवोली शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम शीला को एक मल्टीप्लेक्स में बदलना चाहते हैं. निश्चित रूप से यह एक विकल्प है लेकिन इसके लिए हमें कुछ वक्त लगेगा. हमारी योजना कम से कम 10 स्क्रीन की है.'
गौरतलब है कि दिल्ली और यूपी में पिछले एक दशक में करीब 50 सिनेमाघर बंद हो गए हैं. अपने जमाने का मशहूर गोलचा सिनेमा भी बंद हो चुका है. इसके भी मल्टीप्लेक्स में बदलने की अटकलें हैं.