बारां में अब भी कुपोषण का दंश झेल रहे बच्चे, धरातल पर नहीं उतरी सरकारी योजनाएं
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बारां में अब भी कुपोषण का दंश झेल रहे बच्चे, धरातल पर नहीं उतरी सरकारी योजनाएं

जिला अस्पताल सहित 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) संचालित की जा रही है

एमटीसी कर्मचारी का कहना है अभी जिला मुख्यालय पर 24 बच्चें भर्ती हैं.

राम मेहता, बारां: जिले में कुपोषण का दंश कम होने का नाम नहीं ले रहा है. देश भर में कुपोषण के कारण मौतों को लेकर चर्चा में रहने वाला बारां जिला आज भी यहां के बच्चें कुपोषण का दंश झेल रहें है. बारां जिले को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए संचालित सरकारी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. स्थिति यह है कि जिले में अब भी 6,658 बच्चे कुपोषित हैं. वहीं 717 के लगभग बच्चें अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं. इनमें से जिले के अस्पतालों में संचालित एमटीसी में सिर्फ 35 से अधिक बच्चे ही भर्ती हैं. 

एसीएफ, अडानी फाउण्डेशन, वर्ड विजन सहित आधा दर्जन स्वयंसेवी संस्था जिले में कुपोषण मिटाने के लिए कार्य कर रही हैं और हर साल करोड़ की राशि खर्च की जाती है. वहीं जिला प्रशासन पोषण सप्ताह के लिए रैली निकाल कर जागरूक कर रहा है लेकिन बारां जिले में कुपोषण का दंश मिटने का नाम नही ले रहा है. कुपोषण उपचार केन्द्र में भर्ती बच्चे के परिजनों का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सिर्फ दलिया मिला है और पोषण के लिए अन्य पोषाहार नहीं दिया जाता है. वहीं गांवों में अभी भी कई कमजारे बच्चें है.

दो साल पहलें जिले में कुपोषण से बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार की ओर से पूरक पोषाहार में बढ़ोतरी, अस्पतालों में एमटीसी संचालित कर बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के प्रयास प्रारंभ किए हैं. सरकार की ओर से पूरक पोषाहार वितरण के लिए 1361 आंगनबाड़ी केंद्र, 217 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र 44 मिनी आंगनबाड़ी सहरिया क्षेत्र में संचालित हैं. जहां पर लगभग 1,00,322 बच्चों को पूरक पोषाहार का वितरण किया जाता है. इसके बाद भी स्थिति यह है कि 6,658 के लगभग बच्चे कुपोषण की श्रेणी से बाहर नहीं निकल सके हैं. वहीं 717 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में बने हुए हैं.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. सम्मपत नागर का कहना है कि बारां में कुपोषण के 800 बच्चें है. जिसमें कुल पांच एमटीसी खोल रखें है. इनमें कुपोषित बच्चें को भर्ती कराया जाता है. वहीं प्रयत्न, वर्ड विजन सहित कई संस्था कुपोषण पर काम कर रही है वही भर्ती कुपोषित बच्चों के परिजनों को भी कंपनसेशन दिया जाता है.

जिला अस्पताल सहित 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) संचालित की जा रही है. इनमें जिला अस्पताल शाहाबाद में 20-20 बैड की एमटीसी है. इसके अलावा अन्य स्थानों पर 6 बैड की एमटीसी संचालित हैं. जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या भले ही 717 है लेकिन इन एमटीसी में सिर्फ 35 ही बच्चे भर्ती हैं. सबसें अधिक बच्चें आदिवासी सहरिया जनजाति क्षेत्र में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे होते हैं. वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में यह समस्या रहती है. बारां एमटीसी में 24 बच्चे भर्ती है. 

एमटीसी कर्मचारी का कहना है अभी जिला मुख्यालय पर 24 बच्चें भर्ती हैं. इस माह 48 बच्चें भर्ती के बाद डिस्चार्ज कर दिए गए. वहीं कुल 56 बच्चें भर्ती हुऐं हैं. सरकार के प्रयासों के बाद भी जिले को कुपोषण के दंश से मुक्ति नहीं मिल पा रही है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूरक पोषाहार के रूप में बेबी मिक्स, गुड़-चना, नाश्ता आदि देने के बाद भी बच्चे कुपोषण से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. कई जगह स्वयं सहायता समूह की ओर से दिया जाने वाला पोषाहार भी गुणवत्तायुक्त नहीं होता है और जिला से कुपोषण का कंलक मिटने का नाम नहीं ले रहा है.

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