राजस्थान: ईसरदा बांध का निर्माण रोक सकता था पानी की बर्बादी, सरकारें रही निष्क्रिय
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राजस्थान: ईसरदा बांध का निर्माण रोक सकता था पानी की बर्बादी, सरकारें रही निष्क्रिय

10 साल पहले बनाई गई ईसरदा बांध प्रोजेक्ट का निर्माण सरकारी फाइलों में अटका पड़ा है. कई सरकारों के बदलने के बाद भी इससे संबंधित फाइल अटकी पड़ी है.

यह बाध बनास नदी पर प्रस्तावित है. (फोटो साभार: Videograb/youtube)

जयपुर: इस बार जयपुर समेत चार जिलों में पानी की कोई कमी नहीं रहेगी, क्योंकि बीसलपुर बांध पूरा भर चुका है. लेकिन अफसोस ये भी है कि अब तक बांध से इतना पानी बर्बाद हो चुका है कि एक बीसलपुर बांध और भर जाता. यदि सही समय पर ईसरदा बांध बनाया जाता तो आज ये पानी बर्बाद नहीं होता. 

प्रदेश में तीन सरकारें बदल गई, लेकिन अब तक ईसरदा बांध के दिन नहीं आए. यह योजना 10 साल पहले बनाई गई थी, जिससे बीसलपुर बांध के गेट खोले तो बर्बाद हो रहे पानी का ईसरदा बांध बनाकर रोका जा सके. यह बांध टोंक और सवाईमाधोपुर की बार्डर पर बनना था. लेकिन बीसलपुर का पानी ईसरदा में लाने की योजना केवल फाइलों तक ही सीमित रह गई. 

5 साल पहले सौंपा गया था बजट
जल संसाधन विभाग में पिछली सरकार में पांच साल पहले 1856 करोड का बजट पीएचईडी को सौंपा था. लेकिन अब ईसरदा बांध बनाने का वर्क आर्डर कंपनी को दिया गया.

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बांध का निर्माण रोक सकता था पानी की बर्बादी
बीसलपुर बांध से 36 टीएमसी पानी अब तक छोडा गया है. यदि ईसरदा बांध बना होता तो करोडों लीटर पानी बर्बाद नहीं होता. लेकिन अब ये पानी बनास और चंबल से बहता हुआ बंगाल की खाडी जा रहा है. यानि बर्बाद हुए पानी से जयपुर, दौसा, टोंक और अजमेर की आबादी दो साल तक पानी पी सकती थी. 3.

दो जिलों को मिलता लाभ
बनास नदी पर ही प्रस्तावित दौसा और सवाईमाधोपुर की पेयजल सप्लाई के विकल्प के रूप में योजना बनाई गई थी. ऐसे में यदि ईसरदा बांध बन गया होता तो करीब 4 साल का पानी इन दो जिलों के लिए सुरक्षित हो गया होता.

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