दस साल पहले भी अशोक गहलोत सरकार के दौरान बसपा विधायकों का विलय किया गया था, तब राजकुमार शर्मा समेत कई लोगों को मंत्री पद से नवाजा गया था.
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जयपुर: राजस्थान में देर रात बसपा का कांग्रेस में विलय कर दिया गया. चौंकाने वाले तरीके से बसपा के सभी 6 विधायक स्पीकर सीपी जोशी के पास पहुंचे और विलय पत्र उन्हें सौंप दिया. जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में संग्राम छिड़ गया. बसपा विधायकों को कांग्रेस में मिलने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी.
मायावती ने ट्विटर पर लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने बसपा के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमंद और धोखेबाज पार्टी होने का प्रमाण दिया है, यह बीएसपी मूवमेंट के साथ विश्वासघात है, जो दूसरी बार तब किया गया है, जब बीएसपी कांग्रेस को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी. उन्होंने कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए लिखा है कि कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी-संगठनों से लड़ने की बजाय हर जगह उन पार्टियों को ही आघात पहुंचाने का काम करती हैं, जो उन्हें सहयोग या समर्थन देते हैं. कांग्रेस इस प्रकार एससी-एसटी और ओबीसी विरोधी पार्टी है. इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर और ईमानदार नहीं रही है. मायावती ने इस घटना के बेहद दुखद और शर्मनाक बताया है.
वहीं बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अस्थिर सरकार थी और इनके वरिष्ठ विधायक नाराज चल रहे थे, इसीलिए बसपा को जरिया बनाकर सरकार का जुगाड़ किया गया है. उन्होंने विधायकों को लालच देने का आरोप भी लगाया है.
वहीं पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने इस मामले में किसी भी तरह की खरीद फरोख्त या लालच से इनकार किया है. पायलट ने ज़ी मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि विधायक बिना शर्त कांग्रेस में शामिल हुए हैं और इसके पीछे विकास एकमात्र एजेंडा है. इनके विलय से उनके क्षेत्रों में और अधिक विकास होगा.
आपको बता दें कि यह दस साल में दूसरी बार हुआ है जब कांग्रेस ने प्रदेश में बसपा विधायकों का विलय किया है. दस साल पहले भी अशोक गहलोत सरकार के दौरान बसपा विधायकों का विलय किया गया था, तब राजकुमार शर्मा समेत कई लोगों को मंत्री पद से नवाजा गया था, जबकि कई को संसदीय सचिव बनाया गया था. उस वक्त कांग्रेस के पास बहुमत पूरा नहीं था और उनके पास 96 विधायक थे और सरकार निर्दलियों के भरोसे चल रही थी. वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार 6 विधायकों में से 2 को मंत्रीपद दिया जाएगा, जबकि चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया जाएगा.
(इनपुट-शशिमोहन शर्मा, सुशांत पारीक)