चार महीनों तक इस गांव के अंदर नहीं जाती एक भी गाड़ी, बाहर ही होती हैं पार्क, जानें वजह
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चार महीनों तक इस गांव के अंदर नहीं जाती एक भी गाड़ी, बाहर ही होती हैं पार्क, जानें वजह

 गुजरात (Gujarat) के बनासकांठा (Banaskantha) के पालनपुर तालुका के वाधणा गांव (village) के लोग ऐसी ही एक अनोखी परंपरा निभा रहे हैं.

गांव के लोग चार महीने तक गाड़ियां (vehicle) गांव के बाहर ही पार्क करते हैं

अल्केश राव, बनासकांठा: आप ने वैसे कई परंपराओं के बारे में सुना होगा लेकिन ऐसी किसी परंपरा (tradition) के बारे में आपने शायद ही सुना होगा जिसमें गांव के लोग चार महीने तक गाड़ियां (vehicle) गांव के बाहर ही पार्क करते हैं. गुजरात (Gujarat) के बनासकांठा (Banaskantha) के पालनपुर तालुका के वाधणा गांव (village) के लोग ऐसी ही एक अनोखी परंपरा निभा रहे हैं. इस गांव के लोग आषाढ़ महीने से लेकर दशहरा (Dussehra) तक किसी भी प्रकार का वाहन गांव के अंदर नहीं लाते हैं और गांव के बाहर ही इसे पार्क करते हैं. गांव के लोग इस परंपरा को बरसों से निभाते आ रहे हैं.

वाधणा गांव (village) के बाहर लगी गाड़ियों को देख कर आपको ऐसा लगेगा की गांव में कोई त्योहार या शादी होने की वजह से ये गाड़ियां (vehicle) गांव के बाहर पार्क की गई होंगी. लेकिन ऐसा नहीं है, गांव के बाहर गाड़ियां एक बरसों पुरानी परंपरा (tradition) के चलते पार्क की गई हैं. ये परंपरा करीबन 350 साल पुरानी है और तभी से इस गांव के लोग इस परंपरा को निभा रहे हैं. जिसके चलते वे गाड़ियों को 4 महीने तक गांव के बाहर ही पार्क करते हैं.

जानकारी के मुताबिक सालों पहले पूरे गांव में महामारी (Epidemic) फैल गई थी. जिसके चलते गांव के कई लोगों की और मवेशियों की मौत (death) हो गई थी. इस महामारी के बाद पूरा गांव शोक में डूब गया था. इस दौरान गांव के लोगों का झुकान अध्यात्मिक सोच की तरफ हुआ. जिसके बाद वे इकट्ठा होकर गांव के तपस्वी साधू के पास गए और महामारी से हो रही मौतों का उपाय निकालने की गुजारिश की. साधू महाराज ने इसका उपाय बताते हुए गांव वालों को एक अनोखी प्रतिज्ञा लेने को कहा.

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बताया जा रहा है कि साधू महाराज ने गांव के लोगों को प्रतिज्ञा देते हुए कहा कि आषाढ़ महीने से लेकर दशहरा तक किसी भी प्रकार का पहिये वाला वाहन गांव के अंदर नहीं लाना होगा. महाराज के प्रतिज्ञा दिलवाने के बाद से आज तक गांव में कोई ऐसी बड़ी महामारी नहीं फैली, जिससे की एक साथ गांव के कई लोगों की मौत हुई हो. इसीलिए आज भी इस गांव में उस परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभाया जा रहा है और सभी लोग अपनी गाड़ियां गांव के बाहर पार्क कर रहे हैं.

आपको बता दें कि गांव में महाराज का बरसों पुराना मंदिर भी है और गांव के लोग महाराज में अटूट श्रद्धा रखते हैं. इसीलिए इस परम्परा को आज भी निभा रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव पर महाराज का आशीर्वाद है. जिससे गांव में आज तक ऐसी कोई बड़ी माहमारी नहीं फैली है और इसीलिए गांव के लोग गलती से भी इस परंपरा को नहीं तोड़ना चाहते हैं जिसे उनके पूर्वज बरसों से निभा रहे हैं.

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