सचिन पायलट को राजस्थान HC से मिली बड़ी राहत, नोटिस पर 21 जुलाई तक लगी रोक
Advertisement

सचिन पायलट को राजस्थान HC से मिली बड़ी राहत, नोटिस पर 21 जुलाई तक लगी रोक

राजस्थान हाई कोर्ट में सचिन पायलट गुट की ओर से दायर की गई याचिका पर अब सोमवार को सुबह 10 बजे से फिर से सुनवाई होगी. 

(फाइल फोटो)

जयपुर: राजस्थान में सियासी जंग जारी है. सचिन पायलट (Sachin Pilot) गुट की ओर से दायर की गई याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में शुक्रवार को भी सुनवाई हुई. अब इस मामले में सचिन पायलट को थोड़ी राहत मिली है. राजस्थान हाईकोर्ट ने 21 जुलाई तक नोटिस पर रोक लगा दी है. इस मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

राजस्थान हाई कोर्ट में सचिन पायलट गुट की ओर से दायर की गई याचिका पर अब सोमवार को सुबह 10 बजे से फिर से सुनवाई होगी. 

इससे पहले गुरुवार शाम को हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से अदालत में जानेमाने अधिवक्ता पेश हुए थे. विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में पेश हुए थे. वहीं अतीत में भाजपा नीत केंद्र सरकार की पैरवी कर चुके हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी पायलट खेमे की ओर से अदालत आए थे.

ये भी पढ़ें- DNA ANALYSIS: सचिन पायलट को भारी पड़ गई जल्दबाजी?

बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग करने वाले कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया और किसी आदेश को जारी करने से पहले अपना पक्ष सुने जाने की मांग की. विधानसभा सचिवालय ने मंगलवार को 19 विधायकों को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा था.

पायलट खेमे की दलील
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की सोमवार और मंगलवार को हुई दो बैठकों में भाग लेने के लिए जारी पार्टी के व्हिप की अवमानना की है. हालांकि पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो.

विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है. इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी थी कि विधायक नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं और उन्हें नए सिरे से अर्जी देने के लिए कुछ समय चाहिए. जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा भी हैं. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं. इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे. 

ये भी देखें-

Trending news