ईडी इस मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे से पूछताछ कर चुकी है.
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नई दिल्ली: एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सूत्रों की अगर मानें तो IL&FS मामलें में अनियमितताओं की तफ्तीश कर रही एजेंसी एनफोर्समेंट डिरेक्टरेट यानी ईडी की जांच में सनसनीखेज़ खुलासे हुए हैं. गौरतलब है कि ईडी इस मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे से पूछताछ कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक ईडी ने अब तक की जांच में पाया कि राज ठाकरे ने अपनी कंपनी मातोश्री रियल्टर्स के ज़रिये मुंबई के एक प्रोजेक्ट में बिना कोई पैसा निवेश किए 20 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज ठाकरे और उनके 6 सहयोगियों ने मिलकर मातोश्री रियल्टर्स प्राइवेट कंपनी की शुरुआत की. जिसमें राज ठाकरे की कथित तौर पर 25 फीसदी की हिस्सेदारी थी. राज ठाकरे के अलावा उनके 6 सहयोगियों में राजन शिरोडकर, अनिल थोटे, सुरेश गुप्ता, सुनील मेहेर, संजीव मेहेर और आशुतोष राणे शामिल थे. हाल ही में इस कंपनी ने सुनील मेहेर की जगह प्रियंका मेहेर को कंपनी का एडिशनल डायरेक्टर नियुक्त किया.
इस कंपनी ने आगे चलकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी के बेटे उन्मेष जोशी की एक कंपनी KPPL (Kohinoor Projects Private Limited) का हिस्सा बनी. केपीपीएल ने बाद में साल 2005 में कोहिनूर सीटीएनएल नाम से एक कंसोर्शियम बनाया. ये कंसोर्शियम दादर वेस्ट में कोहिनूर मिल 3 की ज़मीन तकरीबन 421 करोड़ में खरीदकर इस जमीन पर कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवर का निर्माण करने के लिए बनाया गया था जिसमें केपीपीएल के 51% शेयर थे जबकि 49% शेयर IL&FS के थे.
कोहिनूर सीटीएनएल इस कंपनी में IL&FS ने 225 करोड़ का निवेश किया जबकि राज ठाकरे की कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में 4 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसमें से 3 करोड़ रुपये कॉपरेटिव बैंकों से लोन लिए गए थे जबकि 1 करोड़ दो अलग बैंक खातों से आए जो ईडी के रडार पर हैं.
चौंकानेवाली बात ये है कि साल 2008 में जब IL&FS कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में तकरीबन 135 करोड़ का नुकसान झेलते हुए अपने शेयर को महज़ 90 करोड़ में बेच दिया तभी राज ठाकरे की कंपनी ने तक़रीबन 76 करोड़ का मुनाफा कमाकर अपने शेयर 80 करोड़ में बेच दिए और कंसोर्शियम से अलग हो गई.
ईडी को शक है कि इस प्रोजेक्ट में कोई भी निवेश न करनेवाले राज ठाकरे को इस 80 करोड़ में से उनकी 25% हिस्सेदारी के चलते 20 करोड़ रुपये मिले जबकि बाकि 60 करोड़ रुपये मातोश्री रियल्टर्स के अन्य पार्टनर्स को मिले.
ऐसे में सवाल ये खड़े होते हैं कि इस प्रोजेक्ट में जिस साल IL&FS कंपनी ने 135 करोड़ का घाटा झेला उसी साल मातोश्री रियल्टर्स को 4 करोड़ के निवेश के बदले में महज़ तीन साल में 80 करोड़ कैसे मिले ? इस प्रोजेक्ट में ज़ीरो इन्वेस्टमेंट करनेवाले राज ठाकरे को 20 करोड़ का मुनाफ़ा कैसे हुआ ?
ज़ी न्यूज़ के हाथ लगे दस्तावेज़ों के मुताबिक मातोश्री रियल्टर्स में राज ठाकरे कंपनी डायरेक्टर थे और उन्होंने अक्टूबर 2011 में अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया हालाँकि साल 2017-18 तक इस कंपनी के कुल 18 हज़ार शेयर में से 4 हज़ार शेयर राज ठाकरे के नाम थे जिसमें से 1500 शेयर खुद राज ठाकरे और 2500 शेयर उनकी पत्नी शर्मीला ठाकरे के नाम थे.
सूत्रों का दावा है कि इन चौंकानेवाले खुलासों के बाद इस मामले में ना सिर्फ राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं बल्कि जांच एजेंसी ईडी उनसे इस मामले में दोबारा पूछताछ भी कर सकती है. वहीं इस मामले में मातोश्री रियल्टर्स के दूसरे पार्टनर्स के अलावा कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी और ऑडिटर को भी जांच के लिए बुलाया जा सकता है.