देखा गया है कि छोटी-छोटी रकम के बकाया होने पर भी घर खरीददार केस को NCLT में ले जाते हैं. इससे केस लंबा खिंच जाता है और बाकी घर खरीददारों पर भी इसका असर पड़ता है
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नई दिल्ली: आप अपने बिल्डर या डेवलपर से कुछ बकाया रकम लेना चाहते हैं तो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल NCLT से बाहर भी मामला सुलझ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैंक मीटिंग के बाद कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा, "हम चाहते हैं कि NCLT में जाने के लिए कोई केस की एक सीमा (threysold) होनी चाहिए जैसे कि केवल बहुत बड़ी रकम बकाया हो तो ही केस NCLT में आए. छोटी रकम के मामले बैंक या लेवल या निचले लेवल पर ही निपटा लिया जाएं. इसके लिए Mass Action नियमों के हिसाब से भी काम किया जा सकता है."
देखा गया है कि छोटी-छोटी रकम के बकाया होने पर भी घर खरीददार केस को NCLT में ले जाते हैं. इससे केस लंबा खिंच जाता है और बाकी घर खरीददारों पर भी इसका असर पड़ता है. इस वजह से उस केस से संबंधित पूरी प्रोसेस ठप्प हो जाती है. कुछ केस में बिल्डर खुद किसी के मार्फत केस को NCLT में ले जाते हैं जिससे इसके दुरुपयोग का खतरा होता है. सरकार इसके लिए IBC (Insolvency & Bankruptcy Code) के नियमों में बदलाव के लिए सोच रही है. जिसमें NCLT पर मुकदमों का बोझ न पड़े.
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इंजेती श्रीनिवास के मुताबिक पिछले 3 साल में 21,000 केसेज़ आए हैं जिनमें से 10,000 निपटा दिए गए वहीं 1500 मामलों में इस समय सुनवाई चल रही है. केसेज़ के लिए फॉर्मूला बेस्ड डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था करने से मुकदमों का बोझ कम होगा. NCLT में जाने वाले मामलों के लिए सीमा तय करने से NCLT में सेलेक्टेड मुकदमे आएंगे. इससे बहुत सारे मामलों का जल्द निपटारा होगा. जिससे बड़ी राहत हो सकती है.