महानंद पहले ही गाद की समस्या से जूझ रही है और ऐसे में अतिक्रमण ने उसके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है.
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कमलिका सेनगुप्ता . कोलकाता: उत्तरी बंगाल की प्रमुख नदी महानंदा अतिक्रमण के चलते खतरे में है. अतिक्रमण का ये खतरा विदेशी घुसपैठ के कारण और बढ़ गया है. सिलीगुड़ी में महानंदा पुल से आसानी से देखा जा सकता है कि नदी की तलहटी में 200 से अधिक नई बसाहट बन गई हैं. महानंदा पहले ही गाद की समस्या से जूझ रही है और ऐसे में अतिक्रमण ने उसके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है.
विदेशी घुसपैठ के चलते अतिक्रमण की समस्या चिंता का विषय बन गई है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बैठक के दौरान प्रशासन से कहा था कि बाहर से आकर अतिक्रमण करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए. इसके अलावा रेत माफिया के चलते भी समस्या बढ़ रही है. हमने वहां जाकर देखा कि गैर-कानूनी रूप से ट्रकों के द्वारा रेत का खनन हो रहा है. स्थानीय निवासी अमिय पात्रो कहते हैं, 'अतिक्रमण और रेत माफिया की समस्या यहां बहुत पहले से थी, लेकिन हम नई बसाहटों को लेकर चिंतित हैं. नदी के किनारे अचानक कुछ झोपड़ियां बना ली गई हैं और उनमें बाहरी लोग रह रहे हैं.'
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इन बस्तियों में रहनी वाली दुर्गा दास ने बताया, 'हम यहां चार साल से रह रहे हैं. हम यहां असम के कोकराझार से आए हैं. हमारी बस्ती में ज्यादातर लोग बाहर के ही हैं.' दुर्गा ने हमें टिन की छत वाला अपना मकान दिखाया. उनसे बताया कि वो यहां किराए पर रहती है. पास में रहने वाले राशिद खान ने कहा कि वो बिहार के हैं और उनका दावा है कि उन्होंने यहां नदी की तलहटी में जमीन खरीदी है. उन्होंने नदी के किनारे पर एक बड़ी बस्ती तैयार कर ली है. यहां कई परिवार रहते हैं और सभी की अपनी समस्याएं हैं. रिया राय ने बताया, 'अभी तक हमारे वोटर कार्ड नहीं बने हैं.'
ऐसा लगता है कि यहां विदेशी घुसपैठ भी हो रही है. वो लोग यहां गैरकानूनी रूप से रह रहे हैं या उन्हें गैरकानूनी तरीके से यहां जमीन बेच दी गई है. राज्य के महानिदेशक ने इस पर तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है. ये सिलीगुड़ी शहर और महानंदा नदी दोनों के लिए खतरा है. जमीन माफियाओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों की सांठगांठ एक बड़ी चिंता की विषय है.