बीजेपी निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के नाम तय करने में जुट गई है.और इस बीच कार्यकर्ता के मन में वही जिज्ञासा उठ रही है.कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि क्या केन्द्रीय नेतृत्व निकाय चुनाव के नतीजों को सतीश पूनिया की परख के रूप में देखेगा.
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जयपुर : उप चुनाव के बाद अब निकाय चुनाव (muncipal election)में भी वही सवाल उठ रहा है कि क्या ये चुनाव भी सतीश पूनिया(satish poonia)के लिए अग्निपरीक्षा साबित होंगे. या फिर बीजेपी सतीश पूनिया को परखने के लिए अभी और इंतजार करेगी .बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष पद पर सतीश पूनिया की नियुक्ति के बाद प्रदेश में ये दूसरा चुनाव होने जा रहा है. 16 नवम्बर को होने वाले निकाय चुनाव को लेकर इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है सतीश पूनिया के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान में एक चुनाव हो चुका है विधानसभा की दो सीटों पर हुए उप चुनाव में एक कांग्रेस ने जीती तो दूसरी सीट बीजेपी-आरएलपी गठबंधन के खाते में गई. इस उपचुनाव से पहले चर्चा इस बात की थी कि क्या इस चुनाव को सतीश पूनिया की परख के तौर पर देखा जाएगा? लेकिन एक-एक से मुकाबला बराबरी पर रहने के बावजूद बीजेपी के खाते में कोई भी सीट नहीं आई. अब निकाय चुनाव सामने आ गए हैं.बीजेपी निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के नाम तय करने में जुट गई है.और इस बीच कार्यकर्ता के मन में वही जिज्ञासा उठ रही है.कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि क्या केन्द्रीय नेतृत्व निकाय चुनाव के नतीजों को सतीश पूनिया की परख के रूप में देखेगा?
इस सवाल पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर कहते हैं कि प्रदेशाध्यक्ष की परख किसी एक चुनाव से नहीं की जा सकती. क्योंकि चुनाव के नतीजे कार्यकर्ता की क्षमता, व्यूह रचना, संगठन और नेतृत्व के कौशल के साथ ही टिकट वितरण के आधार पर जीते जाते हैं.ओम माथुर कहते हैं कि निकाय चुनाव में सरकार और सत्ताधारी पार्टी लगातार अपना स्टैण्ड बदल रही है और इसके जरिये लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है. ओम माथुर ने कहा कि कांग्रेस किसी भी सूरत में निकाय चुनाव जीतने की कवायद में जुटी हुई है.लेकिन जनता इसे समझ चुकी है. माथुर ने कहा कांग्रेस अपना आधार खो चुकी है और सरकार के नेताओं में आपस में ही खिंचतान दिखाई दे रही है माथुर ने कहा कि सतीश पूनिया पार्टी को नई ऊंचाईयों पर लेकर जाएंगे. लेकिन इसके लिए उन्हें थोड़ा समय दिया जाना चाहिए हालांकि उप चुनाव के नतीजों पर राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि इस चुनाव में भी बीजेपी खाली हाथ कतई नहीं रही है अगर खींवसर की सीट आरएलपी के पास आई है तो वह भी एनडीए गठबंधन का ही हिस्सा थी.और इस नाते बीजेपी के हाथ खाली नहीं कहे जा सकते उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि मण्डावा पर बीजेपी नहीं जीत पाई.लेकिन वह सीट पहले भी बीजेपी के पास परम्परागत रूप से नहीं रही है
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सतीश पूनिया के संगठन कौशल को जानते हैं.और इसलिए उन्होंने कह भी दिया कि वे संगठन को लगातार मजबूत करेंगे लेकिन इस काम में पूनिया को पार्टी के दूसरे नेताओं की ज़रूरत भी होगी.फिलहाल निकाय चुनाव के नतीजों में पूनिया की परख की तरह ही सवाल यह भी है कि क्या पूनिया को निकाय चुनाव में पार्टी के सभी नेताओं का दिल से पूरा सहयोग मिलेगा ?