जयपुर: घोटाले के दोषियों की जांच के पहले हो गई मौत, फाइल काटते रह गई चक्कर
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जयपुर: घोटाले के दोषियों की जांच के पहले हो गई मौत, फाइल काटते रह गई चक्कर

जेल महकमे(Jail Department) में रंगों की खरीद से जुड़े 34 साल पुराने एक मामले में दोषी बनाए गए जेल आईजी, डीआईजी और सहायक निदेशक उद्योग न केवल रिटायर हो गए, बल्कि उनकी मौत भी हो चुकी है.

फाइल फोटो

विष्णु शर्मा, जयपुर: सरकारी तंत्र पर लालफीताशाही किस कदर हावी है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जेल महकमे(Jail Department) में रंगों की खरीद से जुड़े 34 साल पुराने एक मामले में दोषी बनाए गए जेल आईजी, डीआईजी और सहायक निदेशक उद्योग न केवल रिटायर हो गए, बल्कि उनकी मौत भी हो चुकी है. इसके बावजूद भी मामले की फाइल ब्यूरोक्रेसी(Bureaucracy)के गलियारों में इधर से उधर चक्कर काट रही है.

जेल महकमे में कपड़ा बनाने की उद्योगशालाएं स्थापित है.इन उद्योगशालाओं में आने वाले सूत को रंगने के लिए विभिन्न रंगों की खरीद की जाती है. वर्ष 1985-86 में रंगों की खरीद की गई. जेल अधिकारियों ने वित्तीय एवं लेखा नियमों की पालना किए  बिना इन रंगों की खरीद कर ली. रंगों की खरीद में महज  79 हजार 635 खर्च किए गए, लेकिन यह खरीद उनके लिए मुसीबत बन गई.मामले की जांच हुई तो इसे  नियमों के विरूद्ध मानते हुए ऑडिट पैरा बना दिया गया. इस बीच वित्त विभाग की ओर से परिपत्र 10 अप्रैल 1997  और 14 सितंबर 2006 सर्कुलर जारी कर दिया. इस सर्कुलर के अनुसार सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों की पालना किए बिना किसी भी परिस्थिति में क्रय नहीं किया जाना चाहिए.

अंकेक्षण विभाग की ओर से ऑडिट पैरा लगने के बाद विभाग की ओर से रंग खरीद मामले में तत्कालीन जेल आईजी, जेल डीआईजी और सहायक निदेशक उद्योग को खरीद मामले में दोषी बनाया गया. इसके बाद मामले की फाइल जेल महकमे से निरीक्षण विभाग और निरीक्षण से सचिवालय की चक्कर काटने लगी. इस बीच दोषी बनाए गए अधिकारी रिटायर हो गए. इसके कुछ समय बाद उनकी मौत भी हो गई, लेकिन फाइल के चक्कर बंद नहीं हुए. 

इस बीच जेल महकमे ने वित्त विभाग से स्वीकृति प्राप्त कर मामले को नियमित कराने के लिए निरीक्षण विभाग भेजा, लेकिन वहां से इंकार कर दिया. हाल ही जेल आईजी मालिनी अग्रवाल ने एक बार फिर मामला एसीएस गृह विभाग को भेजकर दखल देने की मांग की. आईजी अग्रवाल ने तर्क दिया कि परिपत्र की दिनांक से 12 साल पूर्व  रंगों की खरीद की गई है. ऐसे में वित्त विभाग की ओर से जारी दोनों परित्र रंगों की खरीद प्रक्रिया पर प्रभावी नहीं माने जा सकते हैं. उन्होंने एसीएस गृह से मामले में दखल देकर प्रकरण को नियमित करवाने की मांग की है.

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